नई दिल्ली. हम अपनी कई तरह की जरूरतों के लिए गूगल पर निर्भर करते हैं. चाहे कोई लोकेशन खोजना हो या किसी विषय पर जानकारी लेनी हो. लेकिन, साइबर अपराधी गूगल पर इसी भरोसे का फायदा उठाने की कोशिश काफी बार करते रहते हैं. कई बार लोग इससे बचने में कामयाब हो जाते हैं तो कई बार लोग इसके चक्कर में फंस जाते हैं. हाल ही में एक घटना दिल्ली बेस्ड डॉक्टर के साथ हुई है जहां उन्हें एक कैब बेस्ड ऐप से रिफंड लेने के चक्कर में चूना लग गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक सफदरजंग एन्क्लेव के अर्जुन नगर के निवासी डॉक्टर प्रदीप चौधरी को एक कैब सर्विस प्रोवाइडर से महज 113 रुपये के रिफंड के चक्कर में लाखों रुपये का चूना लग गया. पुलिस सोर्सेज के मुताबिक, इस घटनाक्रम की शुरुआत तब हुई जब पीड़ित ने किसी काम से गुरुग्राम के लिए कैब किया था. शुरुआत में इसका किराया 205 रुपये दिखा रहा था. लेकिन, राइड खत्म होने पर किराया बढ़कर 318 रुपये दिखाने लगा.
इस पर पीड़ित ने 113 रुपये के एडिशनल चार्ज के बारे में कैब ड्राइवर से पूछा. कब ड्राइवर ने सुझाव दिया कि वे कृपया कस्टमर केयर से बात करें. इस बात पर अमल करते हुए पीड़ित ने कस्टमर केयर नंबर के लिए ऑनलाइन सर्च किया. उन्हें एक सर्च में एक नंबर मिला, जिसे पीड़ित ने माना कि ये कंपनी का ही नंबर है और उस पर कॉल कर दिया.
ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा गया
कॉल पर जवाब दे रहे शख्स ने भी अपने आप को कस्टमर केयर रिप्रेजेंटेटिव बताया. इसके बाद पीड़ित ने घटनाक्रम के बारे में बताया, ताकि उन्हें रिफंड के पैसे वापस मिल सके. इसके बाद कॉल राकेश मिश्रा नाम के एक शख्स के पास रिडायरेक्ट किया गया. कहा गया कि राकेश ग्राहक की शिकायत का निवारण करेंगे. फिर राकेशन ने पीड़ित से एक रिमोट सेसिंग एप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए कहा और उनके ई-वॉलेट का एक्सेस मांगा. इसके बाद राकेश ने फिर पीड़ित से अपने फोन नंबर के पहले 6 डिजिट के साथ रिफंड अमाउंट एंटर करने के लिए कहा. राकेश ने कहा कि ये एक वेरिफिकेशन स्टेप है.
पीड़ित ने इस वेरिफिकेशन स्टेप को सही समझा और इंस्ट्रक्शन फॉलो करते हुए सारी जानकारी दे दी. उन्होंने अपना OTP तक कॉल पर शेयर कर दिया. ठीक इसके बाद उनके अकाउंट से 4.9 लाख रुपये का ट्रांजैक्शन हो गया. इस मामले में आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी से संबंधित) और आईटी अधिनियम की 66 डी के तहत मामला दर्ज किया गया है. फिलहाल पुलिस जांच कर रही है.
आपको बता दें कि फेक कस्टमर केयर कॉल वाले मामले पहले भी काफी बार सामने आए हैं. जहां लोग गूगल पर कस्टमर केयर नंबर सर्च करते हैं और गलत लोगों से बात कर साइबर अपराध का शिकार हो जाते हैं.