नई दिल्ली
मोदी सरकार विकास के मोर्चे पर राज्यों के प्रदर्शन का रिपोर्ट कार्ड तैयार कराएगी। इस काम का जिम्मा किसी सरकारी एजेंसी के बजाए पेशेवर प्राइवेट एजेंसी को सौंपा जा सकता है। पीटीआई की खबरों के अनुसार औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन बोर्ड (डीआईपीपी) के सचिव अमिताभ कांत ने एक कार्यक्रम के दौरान यह जानकारी दी। कांत ने बताया कि एक पेशेवर एजेंसी को राज्यों के आर्थिक प्रदर्शन का आंकलन करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसकी रिपोर्ट जून/जुलाई तक सामने आ सकती है। इस बारे में राज्यों के मुख्य सचिवों को सूचित कर दिया गया है और कुछ राज्यों ने अपना प्रदर्शन सुधारने की कोशिशें भी शुरू कर दी हैं।
इससे पहले यूपीए राज में पीडब्ल्यूसी और सीआईआई जैसे निजी क्षेत्र के संगठनों ने कारोबार में आसानी पर अपनी रिपोर्ट दी थी। जिसमें विभिन्न पैमानों पर राज्यों के प्रदर्शन की समीक्षा की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र और राज्यों की टीम इंडिया बनाकर विकास के राष्ट्रीय एजेंडे को आगे बढ़ाने पर जोर देते रहे हैं। इसका जिम्मा उन्होंने नीति आयोग को सौंपा है। लेकिन अब पेशेवर एजेंसी से राज्यों का रिपोर्ट कार्ड बनवाने की बात सामने आई है, जिसका राज्य विरोध कर सकते हैं।
अमिताभ कांत का कहना है कि विकास का वास्तविक काम राज्यों में होना है। हर राज्य को तेजी से विकास के लिए प्रयास करने चाहिए और यह संभव है। सिंगापुर ने ऐसा करके दिखाया है। भारत का आकार यूरोप के 24 देशों के संयुक्त आकार से भी बड़ा है। ऐसे में हर राज्य को एक इकाई के रूप में देखा जा सकता है। कांत के मुताबिक, राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा का माहौल विकसित किया जा रहा है ताकि वे अपना प्रदर्शन सुधारने के लिए प्रयासरत रहें।
कारोबार में आसानी पर रहेगा जाेर
राज्यों के रिपोर्ट कार्ड में सबसे ज्यादा जोर कारोबार में आसानी और निवेश के माहौल पर रहेगा। इसके लिए भूमि अधिग्रहण में लगने वाला समय, मंजूरी की प्रक्रिया, बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, फंडिंग, टैक्स प्रणाली और श्रम कानूनों को आधार बनाया जाएगा।