वॉशिंगटन: सूर्य से निकलने वाली एक विशाल सौर ज्वाला पृथ्वी की ओर बढ़ रही है। राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) ने इसे लेकर अलर्ट जारी किया है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा हैं कि ये भयानक सौर ज्वाला जल्द ही पृथ्वी से टकरा सकता है। यह एक शक्तिशाली सौर तूफान उत्पन्न कर सकता है, जिससे यहां रेडियो ब्लैकआउट होने कि उम्मीद है, जिससे यह जीपीएस नेविगेशन, मोबाइल फ़ोन सिग्नल और सैटेलाइट सिग्नल में बाधा बनने का कारण बन सकता है।
एनओएए के अनुसार यह सोलर फ्लेयर 14 जुलाई को सूर्य की सतह से फूटकर पृथ्वी कि ओर बढ़ने लगा था। हाल ही में एक भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी से टकराया था, जिसके परिणामस्वरूप कनाडा के ऊपर एक उज्ज्वल अरोरा (तेज रोशनी का पुंज) दिखाई दिया।
अंतरिक्ष मौसम विशेषज्ञ डॉ. तमिथा स्कोव ने इसकी जानकारी ट्विटर पर साझा की है। स्कोव ने ट्विटर पोस्ट में कहा, “नया क्षेत्र 3058 एम 2.9-फ्लेयर फायर करता है। यह अब एक्स-फैक्टर के साथ सूर्य पर चौथा क्षेत्र है। एनओएए ने एक्स-फ्लेयर होने वाले जोखिम को 10 फीसदी बताया है, लेकिन यह जल्द ही बढ़ सकता है।”
सौर ज्वालाओं को उनकी तीव्रता के आधार पर चार वर्गों – ए, बी, सी, एम और एक्स में वर्गीकृत किया गया है। जिसमें सोलर फ्लेयर्स के लिए एक्स-फैक्टर सबसे तीव्र फ्लेयर्स में से एक है। सौर ज्वाला की तीव्रता से इसकी ताकत का अंदाजा लगाया जाता है. एक्स-क्लासिफाइड सोलर फ्लेयर के बाद “म ” दूसरा सबसे शक्तिशाली सोलर फ्लेयर है।
क्या है सोलर फ्लेयर्स ?
नासा के मुताबिक, “सोलर फ्लेयर्स सूर्य के वातावरण से जड़ी चुंबकीय ऊर्जा के रिलीज होने से आने वाले विकिरण का एक तीव्र विस्फोट है। यह सौर मंडल कि सबसे भयानक विस्फोटक घटना होती है। इसे कोरोनल मास इंजेक्शन के नाम से भी जाना जाता है। इनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती हैं। ये फ्लेयर्स तेज़ रौशनी निकालते हैं और मिनटों से घंटों तक रह सकते हैं।
डॉ. स्कोव ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अधिक रेडियो ब्लैकआउट से यह पृथ्वी पर हो रहे रेडियो संचालन को प्रभावित करने में सक्षम है, और छोटे विमानों के साथ-साथ बड़े जहाजों की यात्रा को भी बाधित करने में सक्षम है। जीपीएस उपयोगकर्ताओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। जिसका मतलब है कि सौर तूफान से पृथ्वी पर जीपीएस नेविगेशन सिस्टम के ब्लैकआउट होने की सम्भावना है।
19 जुलाई की सुबह इस प्रभाव के चरम पर
नासा ने 19 जुलाई की सुबह इस प्रभाव के चरम पर होने की संभावना जताई है। इससे जीपीएस और रेडियो तरंगों में रूकावट आ सकती है। इसी साल पृथ्वी भू-चुंबकीय तूफानों की चपेट में आई थी। हालाकि भू-चुंबकीय तूफानों से कोई भारी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन तभी से आशंका थी कि भविष्य में और अधिक शक्तिशाली तूफान आ सकते हैं।