
कोरिया
कुछ व्यक्तियो की शौक उनकी पहचान बन जाती है…… और अपनी शौक से अपनी अलग पहचान बनाने वाले एक शख्स से हम आप को रुबरु करा रहे है…..
शौक हो तो मजहफ आडे नही आता, वो लोग बिरले ही होते है धर्म के सीमाओ से उपर उठ कर कुछ ऐसा कर जाते है जो समाज में अनोखे छाप छोड़ जाते है। कोरिया जिले के चिरमिरी में पूरन जैन ने मुस्लिम धर्म की पवित्र व पाक संख्या 786 के नम्बरो वाले नोट का संकलन वर्ष 1970 से कर रहे है। आज उनके संकलन में 786 नम्बर वाले नोट 1 रूपये से लेकर 1 हजार रूपये वाले नोट की लगभग ढाई लाख रूपये से अधिक कलेक्शन कर रखा है और आज भी कर रहे है। कोरिया जिले के चिरमिरी में रहने वाले व्यापारी पूरन चंद जैन की वर्तामान में अभी मोबाईल दुकान की दुकान है। ये वही शख्स है जो पिछले 42 वर्षो से 786 के नोटो का संकलन कर रहे है, इनके पास एक रूपये के नोट से लेकर एक हजार रूपये तक के नोटे है और साथ में ऐसे नोटो का भी संकलन है जो छपते समय मिस प्रिन्ट हो गये थे लेकिन बजार में चल रहे थे ये नोट भी इनके पास रखा है एवं ऐसे नोट भी रखे है
जिनका नम्बर एक ही हो जैसे नोटो की संख्या छः होती है 111111 एक्के या छः दुग्गी इस प्रकार के नोट भी इनके पास मिल जायेगे। जैन साहब द्वारा इन नोटो को खर्च तो नही किया जाता है लेकिन जब भी इनको जानकारी मिलती है की कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अजमेर शरीफ या हज के लिये जा रहे है तो इनको 786 के नम्बर वाले नोट देकर चादर चढाने को कह देते है ये उनकी अपनी श्रद्धा ही है और इनका कहना है की सभी धर्म का सम्मान करना चाहीये।
जिनका नम्बर एक ही हो जैसे नोटो की संख्या छः होती है 111111 एक्के या छः दुग्गी इस प्रकार के नोट भी इनके पास मिल जायेगे। जैन साहब द्वारा इन नोटो को खर्च तो नही किया जाता है लेकिन जब भी इनको जानकारी मिलती है की कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अजमेर शरीफ या हज के लिये जा रहे है तो इनको 786 के नम्बर वाले नोट देकर चादर चढाने को कह देते है ये उनकी अपनी श्रद्धा ही है और इनका कहना है की सभी धर्म का सम्मान करना चाहीये। परिवार का भी सहयोग
पूरन जैन के नोटो का कलेक्सन करने में इनके परिवार के सदस्य भी सहयोग करते है। परिवार के सदस्यो को भी कही पर अगर इस नम्बर के नोट मिलते है तो इस प्रकार के नोट लाकर पूरन जैन जी को दे देते है जिससे नोटो की गिनती बढ़ती रहे । पूरन जैन की ये एक अलग प्रकार का जुनून ही है जो 1970 से लेकर आज भी 786 के नोटो का कलेक्सन करते हुये आ रहे है..
कलेक्शन
आज इनको लगभग 42 – 43 साल हो गये है कलेक्सन करते हुये जिसका परिणाम है की आज इनके पास कुल ( 257608 ) दो लाख सनतावन हजार छ‘ सौ आठ रूपये 786 के है।
786 के लाखो रूपये 42 सालो में जमा करने के बाद पूरन जैन की इच्छा है की इनका भी नाम भी लीमका बुक में जर्द किया जाये क्योकी इनको इस बारे में मालूम नही है की किस प्रकार लिमका बुक में नाम दर्ज कराने के लिये क्या करना पड़ेगा और इनको कोई जानकारी भी नही है।
मिशाल
वही मुश्लिम समुदाय हो या फिर हिन्दु शायद ही किसी के पास 786 के नोटो का इतने मात्रा में कलेक्सन होगा ये इनका श्रद्दा और जुनून ही है जो आज इनके पास 786 के नोटो की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रही है।






