अम्बिकापुर
श्री जगन्नाथ महाप्रभु की रथयात्रा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 6 जुलाई बुधवार को केदारपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकलेगी। उल्लेखनीय है कि आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर रहने के लिए रथ पर सवार होकर गए थे तथा वहां 9 दिन रहने के बाद वापस आए थे। प्रत्येक वर्ष इसी दिन उत्कल समाज के साथ-साथ सभी वर्गों के श्रद्धालु द्वारा रथयात्रा निकालकर भगवान जगन्नाथ बलभद्र व सुभद्रा को रथयात्रा के द्वारा उनकी मौसी गुंडीचा के घर ले जाया जाता है।
रथयात्रा के लिये नगर के केदारपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर में इसके लिये व्यापक तैयारी प्रारंभ कर दी गई है। भगवान के रथ को सजाने का कार्य अंतिम चरणों में है। रथयात्रा के दिन सुबह 6 बजे नगर के तिवारी बिल्डिंग रोड स्थित जगन्नाथ मंदिर में पूजा अर्चना शुरू की जायेगी। सुबह 11 बजे भगवान को मंदिर से बाहर लाकर पूजा कर उन्हें रथ में बैठाकर रथयात्रा 12.00 बजे से शुरू होगी। इस दौरान मंदिर में रथ प्रतिष्ठा, छेराबोहरा, पहाड़ी विगमी की रस्म अदायगी की जायेगी। रथ यात्रा मंदिर से शुरू कर नगर के जोड़ा पीपल होते हुए स्टेडियम के पास स्थित पुराने जगन्नाथ मंदिर, आकाशवाणी चैक, गांधी चैक, घड़ी चैक, संगम चैक से देवीगंज रोड़ होते हुए दुर्गाबाड़ी पहुंचेगी, जहां स्थित भगवान की मौसी गुंडीचा के घर उन्हें 9 दिनेां तक रखकर पूजा अर्चना की जायेगी। 9 दिनों के बाद पुनरू भगवान को वापस मंदिर में लाया जायेगा। रथ यात्रा की पूर्वसंध्या पर जगन्नाथ मंदिर में भक्ति संगीत का भी कार्यक्रम रखा गया जिसमें काफी संख्या में लोग शामिल होगें। मंदिर के पुजारी बैकुण्ठनाथ पांडेय के नेतृत्व में उत्कल समाज व स्थानीय लोगों द्वारा रथ सजाने का कार्य अंतिम चरण में है। मंदिर व रथ की साफ-सफाई एवं रंग रोगन का कार्य जोरों से चल रहा है।
मंदिर के पुजारी बैकुण्ठनाथ पंडा ने बताया कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन से मंदिर का द्वार 15 दिनों के लिये बंद कर दिया जाता है। मान्यता है कि इन 15 दिनों तक भगवान विश्राम करते हैं, जिससे दर्शन नहीं देते तथा पुनरू मंदिर का द्वार 15 दिनों बाद 4 जुलाई अमावस्या के दिन शाम को खोला जायेगा। इस दिन को नेत्रोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान को नये वस्त्र पहनाए जाते हैं, साथ ही पुनरू पूजा पाठ की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। आगामी 6 जुलाई बुधवार को पूजा पाठ तथा रथ प्रतिष्ठा के बाद रथयात्रा का कार्यक्रम विधि-विधान से प्रारंभ होगा।