उल्टी दस्त लेने लगा महामारी का रूप..अस्पताल में बढी मरीजो की संख्या…

मरीजों से जिला अस्पताल के बिस्तर एवं फर्स हुये फुल

अम्बिकापुर

बारिस के आगमन से मौसम में लगातार परिवर्तन हो रहा है। जिसका प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर देखने को मिल रहा हैं जिले में उल्टी दस्त एवं मलेरिया की बिमारी अपना पांव पसार चुकी है। जिसका प्रभाव जिला अस्पताल में एवं निजी अपस्पतालों में भर्ती मरीजों की भारी संख्या में देख कर लगाया जा सकता है। जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन उल्टी-दस्त एवं मलेरिया से प्रभावित लगभग 50-60 मरीज का आना-जाना लग रहा हैं जिसमें सबसे ज्यादा संख्या बच्चों का होता हैं। शिशु वार्ड उक्त बिमारी से ग्रसित बच्चों से खचाखच भरा हुआ है। बारिश के दस्तक के साथ ही शहर सहित समूचे जिले भर में उल्टी-दस्त एवं मलेरियों से पीडि़त लोगों की संख्या एकाएक बढ़ जा रही है। शहर सहित ग्रामीण अंचलों में मरीजों की काफी संख्या बढ़ गयी है। जिला चिकित्सालय से लेकर निजी अस्पतालों में एवं स्वास्थ्य केन्द्रों में उक्त बिमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या बेतहासा बढ़ती जा रही है। जिला चिकित्सालय के ओपीडी में प्रतिदिन डायरिया व मलेरिया से प्रभावित लगभग गंभीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं।

डायरिया व मलेरिया का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों में दिखाई दे रहा है। शिशु वार्ड इस बिमारी से प्रभावित बच्चों से अटा पड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता नहीं होने की वजह से कई लोग गंभीर अवस्था में अपने बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। वहीं चिकित्सकों द्वारा बरसात के मौसम में शिशुओं का विशेष ख्याल रखने की सलाह दी जा रही है। डॉक्टरों ने बताया कि इस मौसम में शिशुुओं कें स्वास्थ्य के साथ थोड़ी भी लापरवाही गंभीर हो सकती है व मानसून के मौसम में उनका विशेष देखभाल रखना आवश्यक हैं। इस समय बच्चों के खाने-पीने का पूरा ख्याल रखना चाहिए। बरसात में ज्यादातर बिमारियां केवल पानी से ही होती हैं। इस समय पेट से जुड़ी बिमारियां होने में समय नहीं लगता है। बच्चों को केवल उबला पानी ही देें व खाना भी उबले पानी से ही बनाकर दें। वहीं चिकित्सक ने मौसमी बिमारी से बचने मौसम के हिसाब से कपड़ा पहनाएं जाने की सलाह दी। मौसम ठंडा होने लगे तो बच्चों को गरम कपड़ा पहनाने में कोताही नहीं करने की बात कही है।

डॉक्टरों ने बच्चों को मच्छरों से बचाने की सलाह दी। बच्चों के पैर और हाथ पूरी तरह से कपड़े से ढंक दें और रात मे मच्छरदानी में ही सुलाएं। बच्चों के कमरे में कभी भी कोई हानिकारक कीटनाशक नहीं छिडकना चाहिए। बारिश के दौरान छोटे बच्चों का सामान्य देखभाल कर बिमारियों से बचा जा सकता हैं। कभी भी बच्चा गीली नैपकीन में ना रहे वरना उसे रैश की समस्या हो जाएगी। हफ्ते में एक बार बच्चे के नाखून जरूर काटें व अपने घर को साफ -सुथरा और मच्छरों से मुक्त रखें।