बस में सफर सुरक्षित करने की कवायद ठंडे बस्ते में
अम्बिकापुर
सरगुजा में चलने वाली यात्री बसोें मेें सफर करने की कवायद अपै्रल माह मेें प्रशासन ने शुरू की थी ।कहा जा रहा था कि यात्री बसे जीपीएस और कैमरे की सुरक्षा कतनीक से लैंस होगी । यहीं नहीं यह सेवा मई तक सुचारू हो जाएगी। कलेक्टर ऋतू सैन ने बस संचालकों को बैठक लेकर हिदायत दी थी कि वे सुरक्षा तकनीको से बसों को निर्धारित तिथि तक लैस करें या फिर कार्यवाई को तैयार रहे ।मई माह तक यात्री बसों की स्थिति मेें कोई सुधार नहीं होने पर मोहलत और आगे बढ़ा दी गई , परन्तु आज तक बसों मे सुरक्षित सफर करने के लिए प्रशासन द्वारा की गई कवायद को वाहन संचालकों ने अमलीजामा नहीं पहनाया । आलम यह है कि कंडम बसों में भेड़- बकरियों की तरह लदकर यात्रा कर रहे यात्री कराह रहे है।
सरगुजा की सड़कों पर रोजना दौड़ती कंडम बसों में आए दिन दुर्घटना सामने देखने को मिल रही है ।हाल ही में नगर के अंदर व नगर से लगे क्षेत्र में दो बस दुर्घटना में चार लोगों की मौत हो चुकी है ।भाथुपारा रिंगरोड़ तालाब के समीप हुई बस दुर्घटना में भी यह बात सामने आई थी कि 40 मीटर बस में 60 से 70 यात्री सफर कर रहे थे । दो दिन पहले परसा के पास हुए बस हादसे में शराबी चालक के भरोसे यात्रियों को छोड़ दिया गया था । दूसरी तरफ संभाग में बेहिसाब सड़क हादसे हो रहे है लेकिन वाहनों के फिटनेश पर कोई ध्यान नहीं जा रहा है। परिवहन विभाग द्वारा बिना जांच परख के ही वाहनोें को फिटनेश सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है ।नगर के प्रतिक्षा बस स्टैण्ड़ से रोजाना अलग – अलग समय में लगभग 300 बसें छूटती है। यदि उनकी जांच की जाये तो इनमें से कई चलने की स्थिति में नहीं मिलेंगी , लेकिन कार्यवाई के नाम पर मात्र खानापूर्ति की जाती है ।
कलेक्टर ऋतु सैन ने अप्रैल में आयोजित बैठक मेें बसों में महिला यात्रियों से दुव्र्यवहार और निर्धारित सीट पर नहीं बैठाए जाने की शिकायतों का जिक्र करते हुए बस संचालकों को ताकीद दी थी कि वे यह ध्यान रखें कि ऐसी शिकायतें न आएं । शासकीय नियमों का उल्लेख करते हुए बस संचालकों को यह भी याद दिलाया गया था कि वे किराया सूची प्रदर्शित रखें और निर्धारित किराया ही लेवें ।कलेक्टर ने यह सभी व्यवस्था को लागू करने में प्रशासन द्वारा पूरा सहयोग प्रदान करने की बात करते हुए यह भी ताकिद की थी कि निर्धारित अवधि के बाद भी इन सारी सुविधाओं को पूरा नहीं किया गया तो सख्त कार्यवाई तय है। इन सबके के बाद भी बस स्टैण्ड की वर्तमान स्थिति में पहले की अपेक्षा जरा भी बदलाव नहीं आया है। आज भी बस स्टैण्ड में एजेंटों का राज है। यहां यात्री बसों में खासकर लोकल बसों में यात्रियों को ठूस – ठूस कर भरा जाता है।सीट 40 तो यात्री 60 होते है। ऐसे वाहनों में महिलाओं के बैठने के लिए कोई अलग से सीट निर्धारित नहीं है। महिलाएं आज भी खडे़ – खडे़ ही यात्रा करने को मजबूर है। यहीं नहीं पिछले दिनों बतौली यात्री बस से अम्बिकापुर आ रही एक शिक्षाकर्मी महिला के साथ बस कंडक्टर द्वारा अभद्र व्यवहार की बात भी सामने आई थी ।जिस पर कोतवाली पुलिस ने आरोपी के विरूद्ध प्रतिबंधात्मक कार्यवाई की थी । बहरहाल इस प्रकार के मामले यात्री बसों में आम हो गए है।
केन्द्र सरकार के निर्देश के बाद सरगुजा में चलने वाली यात्री बसों में सफर सुरक्षित करने की कवायद प्रशासन ने जरूर की थी । यह माना जा रहा था कि प्रशासन की कवायद यदि सफल हुई तो सरगुजा जिला बसों में जीपीएस और कैमरे की सुविधा यात्रियों को दिलाने व एक सुरक्षित सफर के लिए प्रदेश का पहला जिला होगा । कहा जा सकता है कि यात्रियों की सुरक्षा के दृष्टि से की गई कवायद पर बस मालिकों ने पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।