अम्बिकापुर स्थानीय विधायक और छत्तीसगढ़ विधानसभा नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंह देव अचानक ही मेडिकल कालेज अस्पताल पहुचे और वहाँ इलाज के आभाव में परेशान मरीजो की स्थित देख कर दुखी हुए.. नेता प्रतिपक्ष ने इस दौरान अस्पताल से ही कई जिम्मेदारो को फोन लगाया लेकिन किसी ने फोन रिसीव नहीं किया..
दरअसल नेता प्रतिपक्ष अपने ऑफिस में बैठे थे तभी कुछ लोगों ने जिला अस्पताल में अच्छी चिकित्सा नहीं मिलने की शिकायत की, शिकायत मिलते ही नेता प्रतिपक्ष लोगों को लेकर अस्पताल पहुचे और अस्पताल का हाल देखकर दुःखी हुए और अस्पताल के कई जिम्मेदार अधिकारियों को फोन लगाया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। जबकी अस्पताल में कोई भी चिकित्सक उपस्थित नहीं था।
वही करमहा की अंजू नामक महिला की अस्पताल में डिलीवरी के बाद नवजात की हालत गंभीर थी। चिकित्सकों ने उसे कह दिया था ठीक हो जाएगी। बाद में पता चला की वेंटिलेटर की आवश्यकता है लेकिन मेडिकल कॉलेज में वेंटिलिटर की व्यवस्था ही नहीं है, नेता प्रतिपक्ष ने नवजात को तुरंत ही मिशन हॉस्पिटल भेजा लेकिन वहां भी वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं था.. तब तेज मेडिकल भेज कर नवजात को एडमिट कराया गया.. अस्पताल की व्यवस्था देख कर दुःखी नेता प्रतिपक्ष ने कहा की बिना चिकित्सक के कैसे होगा भर्ती मरीजों का ईलाज। इस दौरान कई रोगियों से हाल जानने के बाद चिकित्सा नहीं होने पर नेता प्रतिपक्ष नाराज हुए।
बहरहाल ये वाकया छत्तीसगढ़ विधान सभा के नेता प्रतिपक्ष के साथ हुआ तो ज़रा सोचिये की आम लोगो के साथ इस अस्पताल में क्या होता होगा.. जब प्रभावशाली पदों में बैठे लोगो की नहीं सुनी जा रही है तो भला किसी और की क्या बिसात… सरकार की गरज से नौकरी करने वाले चिकित्सको को पता है की प्रदेश में डाक्टरों की कमी के परिणाम स्वरुप इन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है और इसी का परिणाम है की यहाँ के डाक्टर नेता प्रतिपक्ष का भी फोन नहीं उठाते..