Holi Special : अबकी होली इकोफ्रेंडली… सरगुज़ा की महिलाओं ने फ़ल, सब्जी और फूलों से बनाया ख़ास अबीर … देखिए Video

!! पारसनाथ सिंह/अम्बिकापुर !!

सभी रंगों का रास है होली, मन का उल्लास है होली.. जीवन में खुशियां भर देती है.. बस इसलिए ख़ास है होली… और इस साल होली को खास बनाने के लिए अम्बिकापुर के एक महिला समूह मे ईको फ्रैंडली रंग तैयार किए हैं.. औऱ वो भी फल, सब्जी औऱ फूलो को मिलाकर. जी हा अम्बिकापुर की महिलाओ ने इस साल कुछ ऐसे खास अबीर तैयार किए हैं.. जो आपकी सेहत और चेहरे को खराब नहीं बल्कि खुशनुमा बना सकते हैं..

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होलीका दहन के दूसरे दिन मनाया जाने वाला रंगो का त्यौहार की धूम हर तरफ होती है.. ऐसे मे रंगो का बाजार भी काफी रंगीन होता है.. बाजार मे कई तरह के रंग वाले गुलाल बिकते हैं.. लेकिन हो सकता है ये आपकी स्कीन औऱ सेहत के लिए नुकसान दायक हों….. लेकिन अम्बिकापुर के बंग समाज के एक महिला समूह ने इस बार होली मे कुछ खास तरह के गुलाल औऱ रंग तैयार किए हैं.. जो विभिन्न तरह के फल फूल औऱ सब्जियो से बने हैं…

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छत्तीसगढ सरकार के विहान योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त इन महिलाओ ने रंगो के त्यौहार होली को बेहद खास बनाने के साथ साथ ग्राहको की सेहत का ख्याल रखते हुए ईको फैंडली गुलाल तैयार किए हैं.. जो बाजर मे बिकना भी शुरु हो गए है.. और यही वजह है कि कुछ महिलाओ के इस कार्य की तारीफ कर रहे हैं. तो कुछ ऐसे रंगो को मानव जीवन के लिए काफी सुरक्षित मान रहे हैं..

देखिए वीडियो-

आपने हमेशा सुना होगा कि होली मे केमिलक वाले रंग की वजह से चेहरा या शरीर मे इंफेक्सन हो गया है.. और कई दिन बीत गए शरीर मे लगा रंग उतर ही नहीं रहा है.. ऐसे मे आपको जानकर खुशी होगी कि अम्बिकापुर मे महिला समूह की महिलाए चुकंदर, पालक, पलास के फूल औऱ गेंदा के फूल के साथ गुलाब के फूल को लेकर रंग तैयार कर रही हैं.. अब दिमाग मे ख्याल आ रहा होगा कि आखिर ये रंग तैयार कैसे हुए तो इसको बनाना काफी आसान हैं.. दरअसल इन सभी फल फूल औऱ सब्जी को पानी मे तब तक उबाला जाता है.. जब तक पानी की मात्रा 30 प्रतिशत ना बच जाए. उसके बाद इस अर्क मे आरारोट मिलाया जाता है… जिसके बाद सुखाकर उसे हाथो से मैस कर दिया जाता है और फिर फल फूल औऱ सब्जी के कलर का रंग गुलाल तैयार हो जाता है

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फल फूल और सब्जियो से तैयार किए रंग गुलाल को बेचने के लिए अम्बिकापुर के घडी चौक और स्टेडियम गेट के सामने खास पंडाल लगाए गए हैं.. जिसमे महिला समूह की महिलाएं अपने खास तरीके से तैयार रंग गुलाल की बिक्री कर रही हैं.. और इससे महिलाओ को लागत मूल्य से करीब 35 प्रतिशत का मुनाफा हो रहा है.. तो फिर देर किस बात कि अगर आप भी होली के रंगो के साथ अपने और अपनी त्वचा को स्वस्थ रखना चाहते हैं.. तो फिर इस बार होली मे ईको फैंडली रंगो का उपयोग करे और जमकर गुलाल उडाए…

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