अम्बिकापुर
सूरजपुर के कल्याणपुर गाँव में मानवता को कंलंकित करने वाली एक घटना सामने आई है जहां एक मां की अर्थी 48 घंटे से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी घर मे जस की तस पडी रही,और जमीन जायदात के विवाद मे 85 साल की वृद्धा की लाश अंतिम संस्कार के लिये लावारिस की तरह पड़ी रही, कल्याणपुर गांव मे समाज व मावनता को झकझोरने वाला एक सच सामने आया,,गांव के 85 वर्षीय वृद्ध महिला की लास अंतिम दाह सस्कार के लिये पड़ी हुई थी,,जबकि उसकी दोनो पुत्री भी अपनी मां की मौत की सुचना पर आ गई पर अपनी मां का अंतिम दाह संस्कार कराने के लिए उनको काफी मशक्कत करनी पड़ी, और सड़क किनारे 5 डिसमिल जमीन जब बेटियों ने दी तब जाकर मृतिका के भतीजे ने उसका अंतिम संस्कार किया।
दरअसल गांव मे रहने वाली मृतक 85वर्षीय बिफईया साहु के पति का 3 वर्ष पहले निधन हो गया था,, मौत से पहले ही पिता ने दो बेटियों की शादी कर उनका घर बसा दिया था, और कोई बेटा ना होने के कारण अपनी पूरी जमीन जायदात अपने भाचा के नाम कर दिया था। समय गुजरता रहा और इसी बीच बिफईया की भी मृत्यु हो गई। लेकिन उसकी लास 48 घंटे से ज्यादा समय तक लावारिश की तरह अपने अंतिम क्रिया की बाट जोहती रही। पर जमीन जायदात के विवाद पर उसकी लास का अंतिम संस्कार नही हो पाया। जबकि मृतक के घर के सामने सरपंच पंचो की पंचायत भी लगी। कई कागजात पेश किये गये परंतु कोई निश्कर्ष नही निकल पाया। अंत में मृतिका की बेटियों ने सड़क किनारे की 5 डिसमिल जमीन देनें का वादा किया जिसके बाद मृतिका के भतीजे ने उसका अंतिम संस्कार किया।
समाज मे फैली लालच द्वेष इंसान को दरिंदगी की उस पराकाष्ठा पर ले जाती है, जहां उसके सोचने-समझने की शक्ति खत्म हो जाती है, जब न तो उसे खून के रिश्ते नजर आते हैं, न मानवता नजरआती है और न ही उसके लिये मासूमियत कोई मायने रखती है। ठीक वैसा ही कृत्य कल्याणपुर में हुआ जहां माँ के अंतिम संकार की कीमत बेटियों को 5 डिसमिल जमीन देकर चुकानी पड़ी।