गरीब का आज तक नहीं बन सका इंदिरा आवास

सूरजपुर 
ओडगी से शशांक सिंह – जनपद पंचायत  क्षेञ  के ग्राम  पंचायत  बेदमी  में जहां  एक ओर प्रधान मंत्री  आवास  योजना  में  शुरवात  से ही खुलेआम भ्रष्टाचार  चरम सीमा पर चल रहा  है।  और वहीं आज भी ओडगी  जनपद क्षेञ  के  कई ग्राम  पंचायतों  में  पूर्व  की इंदिरा आवास  योजना  के  कई हितग्राहियों  का आज भी मकान  नही बन पाया है। ऐसा ही एक मामला  ग्राम  पंचायत  बेदमी  का सामने आया है जहां  हितग्राहि सिताराम पिता कैरा जाती अगरीया का इंदिरा  आवास  योजना  के  तहत  आवास  की स्वीकृती शासन के द्वारा  वर्ष  2013-14 में  दी गई  थी लेकिन  हितग्राहि का आवास  आज तक नहीं बन पाया है । जबकि  पांच वर्ष  पूर्व  स्वीकृत  इस गरीब का आवास आज तक नहीं बन पाने का कारण क्या है इसकी जानकारी  जब हमारे संवाददाता  ने खुद हितग्राहि से पुछा तो मामला सामने  आया हितग्राहि ने बताया  कि उसके  खाते में प्रथम  किस्त आया था तो रोजगार  सहायक  के द्वारा  पैसा निकलवा कर ले लिया और बनवाने  के लिए कहाँ  गया था लेकिन रोजगार  सहायक  नहीं बनवा रहा था। कुछ ग्रामीणों  ने  बताया कि  प्रधान मंत्री  आवास का समाचार  लगने के बाद  उक्त  रोजगार  सहायक  ने इस हितग्राहि का इंदिरा  आवास  बनाना चालू  किया  है जब हितग्राहि से इतने साल में आवास  ना बनने  का कारण पूछा  गया तो वहां  पर खड़ा जो हितग्राहि का आवास बना रहा रोजगार  सहायक  का पिता उक्त  हितग्राहि को बोलने से पहले खुद  बोलने लगा जिससे  हितग्राहि कुछ डरा हुआ  दिख रहा था । लेकिन  मामला यही पर समझ में आ जाता है  कि जब हितग्राहि उतने दिन तक आवास नहीं बना पाया तो आज ही कैसे  बना लेता। लेकिन  उक्त  हितग्राहि का आवास  खुद  रोजगार  सहायक  के पिता बना रहे थे। जनपद से मिली जानकारी  के अनुसार  उक्त  हितग्राहि का आवास  2013-14 में वन अधिकार  मत से 70000 राशि  का स्वीकृत  हुआ है । जो आज तक अपूण है।
आवास तो बन रहा लेकिन  मिट्टी से –
उक्त हितग्राहि का इंदिरा आवास रोजगार  सहायक  के द्वारा हाल ही में दो चार दिन  पहले  बनवाना चालू किया  गया है।    लेकिन  इस हितग्राहि को पक्का  के आवास  निर्माण  के जगह मिट्टी  के गिलावे  से जोडाई  और वो भी तीन ओर दिवाल खड़ा किया जा रहा है। और  इस गरीब  से काम भी लिया जा रहा  है  और इसे पक्का  मकान के जगह कच्चे  का मकान नसीब हो रहा है।
झोपड़ी  में  करता है गुजर बसर-
सीताराम  के पास मकान  के रूप में एक छोटा  सा झोपड़ी  के तरह घर है जिसमें  वो हर मौसम  को झेल कर अपने परिवार का भरण  पोषण  कर जीवन  यापन करने को मजबूर  है।