सूरजपुर। जिला बाल संरक्षण अधिकारी से मिली जानकारी अनुसार जिले के दुरस्त विकासखण्ड के सुदूर ग्रामों में भी लोगों के पास जानकारी पहुंच गई है कि बच्चों के विवाह का उम्र कितना हैं। मगर वे प्रशासन को धोखा देकर विवाह करने के उद्देश्य से सरपंच से जन्म प्रमाण पत्र लिखवाकर विवाह कर रहे थे।
चाईल्ड हेल्प लाईन नं. 1098 पर प्राप्त शिकायत पर जिला कार्यक्रम अधिकारी मुक्तानंद खुटे के निर्देश पर जिला बाल संरक्षण इकाई के टीम द्वारा ग्राम टमकी विकासखण्ड ओड़गी में जांच करने गई तो पता चला कि बालक पढ़ा लिखा है, जिसके दस्तावेजों में जन्म तिथि 10 सितम्बर 2004 है, अर्थात बालक का उम्र 15 वर्ष 06 माह 22 दिन है। परिजनों द्वारा सरपंच से एक प्रमाण पत्र बनावा लिया गया था जिसमें प्रमाणित किया गया था कि बालक का उम्र विवाह योग्य हो गया है। मौंके पर सरपंच को बुलाने से वे नहीं आये। बहुत मुश्किल से समझाईस पर बालक का विवाह नहीं करने के लिए परिजन राजी हुए। परिजन अपना मण्डप उखाड़ दिये और उम्र हो जाने पर ही शादी करने को राजी हुए।
कार्यवाही के दौरान पता चला कि नाबालिक लड़की का विवाह बेदमी में हो रहा है। टीम द्वारा बेदमी आकर जांच करने पर पता चला कि बालिका के विवाह की जानकारी पर गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा बालिका का विवाह ना करने के संबंध में 20 फरवरी 2020 को ही समझाईस दिया गया था एवं उसके संबंध में पंचनामा तैयार किया गया था। इसके बावजूद जिद्द कर बालिका का विवाह जिसकी जन्म तिथि 06 अगस्त 2007 अर्थात मात्र 13 वर्षिय नाबालिक लड़की का विवाह किया जा रहा था। जानकारी पर अधिकारी कार्यवाही के लिए आने वाले है मण्डप उखाड़ कर बालिका को दूसरे घर में छुपा दिया गया और दूसरी लड़की को टीम के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया। शंका होने पर जब लड़की को ले जाने की बात कि गई तो बालिका स्वयं बताने लगी कि वह दुल्हन नहीं है तब जाकर वास्तविक लड़की को प्रस्तुत किया गया।
सभी को समझाईस दिया गया कि यदि बाल विवाह किया गया तो सभी के उपर बाल विवाह प्रतिशेध के तहत् कार्यवाही की जायेगी। जिसके तहत 2 वर्ष की सजा एवं 1 लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है। जिसमें विवाह करने वाले, सहयोग करने वाले, अनुमति देने वाले एवं विवाह में सम्मलित होने वाले सभी को सजा एवं जुर्माना हो सकता है।
अपील
जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने जिले के समस्त परिजनों से अपील की है कि बाल विवाह ना करें, और अपने बच्चों का बचपन ना छीने बच्चों के किसी अधिकारों को ना छिने। बाल विवाह करने से बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार का उल्लंघन होता है। साथ ही कम उम्र में विवाह होने से आने वाला भविष्य कुपोषित होता है। बच्चीयां परिपक्व नहीं होने से जिम्मेदारीयों का निर्वहन नहीं कर पाती है। बाल विवाह करने से कानुनी परेशानी में पड़ना पड़ सकता है। विवाह से पूर्व अपने बच्चों का जन्म तिथि जरुर देख लें।
उपरोक्त कार्यवाही में जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल, परामर्शदाता जैनेन्द्र दुबे, आउटरिच वर्कर हर गोविन्द चक्रधारी एवं कुमारी अनिता पैकरा, चाईल्ड लाईन ओड़गी से अनवरी खातुन, राधा यादव, पुलिस थाना रमकोला से थाना प्रभारी निर्मल प्रसाद राजवाड़े, योगेश्वर सिंह कंवर उपस्थित थे।