मुख्य आरोपी गिरफ्तार, सरगुजा विश्वविद्यालय से जुड़े है तार
अम्बिकापुर
सरगुजा विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कई काॅलेजों के फेल छात्रों को फर्जी अंकसूची देकर पास घोषित करने के मामले में संलिप्त मुख्य आरोपी को कोतवाली व क्राईम ब्रांच की पुलिस टीम ने रांची से गिरफ्तार कर लिया है। फरार आरोपी रांची में अपनी पैठ बनाकर वहां भी कई स्कूल व काॅलेजों के शिक्षकों को फर्जी रूप से पीएचडी कराने का काम कर रहा था। पकड़े गये आरोपी ने सरगुजा विश्वविद्यालय के गोपीनीय शाखा में कार्यरत कई लोगों का नाम उजाकर किया है। जो फर्जी मार्कशीट उपलब्ध कराने के काम में उसके साथ थे। इस खुलासे के बाद सरगुजा विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली पर एक बार फिर कई सवाल खड़े हो गये है। आरोपी के अनुसार पैसे लेेकर छात्रों को फर्जी अंकसूची प्रदान करने का खेल सरगुजा विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से ही बदस्तूर जारी है।
इस मामले का खुलासा करते हुये नगर पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि 15 जुलाई 2015 में एक छात्र द्वारा स्नातक द्वितीय वर्ष का फार्म भरने के दौरान यह गड़बड़ी सामने आई थी। विश्वविद्यालय के रिकार्ड में फेल हो चुके छात्र की पास हो जाने वाली अंकसूची को देख जब सरगुजा विश्वविद्यालय ने इसकी जांच की तो लगभग 16 छात्रों के पास फर्जी अंकसूची निकली। सरगुजा विश्वविद्यालय की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने 16 छात्रों को आरोपी बना धारा 420, 467, 468, 471 व 34 के तहत 11 अगस्त 2015 को अपराध कायम कर छात्रों से पूछताछ की तो पता चला कि वसुन्धरा विहार काॅलोली में किराये के मकान में रह रहे क्वाटर नम्बर एच 18 बी निवासी संतोष कुमार श्रीवास्तव पिता फिरंगी लाल का नाम सामने आया। संतोष श्रीवास्तव मूलतः उत्तरप्रदेश कुशीनगर के ग्राम परासी का रहने वाला है। वर्ष 2001 से अम्बिकापुर में आकर साई बाबा काॅलेज के समीप स्टूडेंट कार्नर के नाम से दुकान खोला और सरगुजा विश्वविद्यालय से समृद्ध काॅलेजों में पुस्तक, साईस लैब व अन्य सामानों की सप्लाई करता था। दुकान को ही केन्द्र बिन्दू बनाकर सरगुजा विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारियों व दलालों की सांठगांठ से फेल हुये छात्रों की सूची प्राप्त कर उनसे सम्पर्क करने के बाद पैसे लेकर उत्तीर्ण की फर्जी अंकसूची प्रदान करने का काम किया करता था। गड़बडी सामने आने के बाद संतोष श्रीवास्तव जून 2015 से फरार होकर रांची में रह रहा था। वहां भी स्कूलांे व काॅलेजों मे ंसामान सप्लाइ का काम करते हुये अच्छी पैठ बना ली थी। इसी बहाने वह शिक्षकों को पीएचडी की उपाधी दिलाने के नाम पर 9 लोगों से 65-65 सौदा तय किया था और एड़वास के तौर पर सभी से 15-15 हजार रूपये ले लिया था। उनमें रांची उदय काॅलेज, जशपुरिहा काॅलेज, गुमला व पत्थलगांव के शिक्षक शामिल थे। सीएसपी श्री शुक्ला ने बताया कि फर्जी अंकसूची मामले में आरोपी एक छात्र ने पुलिस की मदद करते हुये लगातार संतोष श्रीवास्तव के लोकेशन पर नजर रखी थी। छात्र के द्वारा सूचना देने पर ही पुलिस ने रांची से उसे गिरफ्तार किया है। सरगुजा विश्वविद्यालय द्वारा दर्ज कराये गये रिपोर्ट के आधार पर 6 छात्रा व 9 छात्र आरोपी बने है।
कई लोग है शामिल
पकड़े गये आरोपी ने इस काम में कई लोगों के शामिल होने की बात स्वीकार की है। आरोपी के अनुसार उसका साला मनीष श्रीवास्तव व साले का दोस्त भुपेन्द्र सिंह, रामानुजगंज काॅलेज का बाबू रामजीत प्रसाद, सोनू श्रीवास्तव सहित सरगुजा विश्वविद्यालय के कई कर्मचारी इस गड़बड़ी में शामिल है। आरोपी के अनुसार सरगुजा विश्वविद्यालय के संलिप्त कर्मचारियों द्वारा प्रत्येक विषय के एवज में 3 हजार रूपये निर्धारित किया गया था। यह पूरे पैसे विश्वविद्यालय के कर्मचारियों व उसके बीच बटते थे।
भविष्य से खिलवाड बर्दास्त नहीं
सीएसपी जितेन्द्र शुक्ला ने आज चर्चा के दौरान कहा कि धोखाधड़ी के सभी मामलों में हमारा फोकस अभी प्राथमिकता के आधार पर है। यह कोई मामूली नहीं बल्कि गंभीर अपराध है। छात्रों सहित अन्य लोगों के साथ धोखाधड़ी व भविष्य से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। आरोपी के बयान में जिन लोगों के नाम सामने आये है, उनकी तस्दीक कर पूरी कार्यवाही गंभीरता से की जायेगी।