Surajpur News: बचपन में अक्सर बच्चे खेल-खेल में गुड्डे-गुड़ियों की शादी करते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में ये शादी बिल्कुल असली शादियों की तरह हुई। इसमें हजारों रुपए खर्च किए गए। गुड्डे को दूल्हे और गुड़िया को दुल्हन की तरह सजाया गया। रियल शादी की तरह इसमें सारी रस्में निभाई गईं। इसके बाद दावत भी हुई। इस अनोखी शादी शामिल होने वालों के लिए भी ये एक यादगार शादी बन गई। बता दें कि, इस तरह की शादी सूरजपुर जिले से लगे एक गांव में पिछले तीन साल से लगातार हो रही है।
शादी-ब्याह के मौके पर अक्सर देखा जाता है कि शहरी युवतियों को विवाह में होने वाली कुछ रस्मों की ही जानकारी होती है, ज्यादातर रस्मों के बारे में उन्हें पता ही नहीं होता। इसके विपरीत छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में प्रायः सभी युवतियों को वैवाहिक रस्मों की पूरी जानकारी होती है। इसका कारण है कि साल में एक दिन गांव-गांव में छोटी बच्चियां अपने गुड्डा-गुड़िया का ब्याह अवश्य रचाती हैं। गुड्डा-गुड़िया का ब्याह रचाते वक्त परिवार के लोग मिलकर वे सारी रस्में निभाते हैं, जो रस्में सचमुच की शादी में निभाई जाती है।
दरअसल, सूरजपुर जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर ग्राम रामपुर में गुड्डे और गुड़िया का शादी समारोह आयोजित किया गया। ये शादी परंपरा तीन दिनों तक चला, इस दौरान रियल शादी में जो भी रस्मे निभाई जाती है उसे पूरा किया गया। पहले दिन बांस की लकड़ी से मंडप बनाया गया, उसे साड़ियों से सजाया गया। मिट्टी के बर्तन पर चावल के अलग-अलग रंगों से आकृति बनाई है, जैसे आमतौर पर रियल शादियों में होता है। 17 तारीख को मंडप लगाया गया, दूसरे दिन गुड्डे, गुड्डी को हल्दी लगाया गया। इसके बाद तीसरे दिन शाम के वक्त डीजे के साथ बारात निकाली गई, जिसे पूरे गांव में भ्रमण कराया गया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में गांव की महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल हुए.. और डीजे की धुन पर थिरकते हुए वापस मंडप स्थल पर पहुंचे। इसके बाद अगले दिन यानी रविवार को दोनों गुड्डे और गुड़िया का विधि विधान से विवाह कराया गया। वहीं शाम के वक्त गांव के सभी लोगों को दावत दी गई।
कैसे शुरू हुई परंपरा
बता दें कि, तीन साल पहले ग्राम रामपुर में बच्चों द्वारा खेल-खेल में गुड्डे और गुड़िया का विवाह शुरू किया गया, लेकिन अब यह विवाह गांव की परंपरा बन गई है। अब इस अनोखी शादी में बच्चों के साथ गांव के बड़े भी शामिल हो रहे है। गांव में गुड्डे और गुड़िया के विवाह का तीन दिवसीय भव्य आयोजन किया गया। वर्तमान समय में बच्चे बाहरी खेलों को छोड़कर वीडियो गेम में सिमटते जा रहे है। ऐसे में गांव में गिल्ली डंडा, कंचा और घर द्वार जैसे खेल आज भी जीवित है। वहीं गुड्डे और गुड़िया की शादी भी क्षेत्र में खूब सुर्खियां बटोर रही है, लोग बच्चों के इस आयोजन की सराहना कर रहे है और शादी के बदलते ट्रेंड के बीच पुराने रस्मों को याद रखने के लिए इस तरह के आयोजन करते रहने की बात कह रहे है।