कई शिकायतो के बाद भी प्रशासन मौन क्यो ???
जिला बनने के बाद सूरजपुर मे भू-माफियाओ की आई बाढ….
अमितेष पाण्डेय
सूरजपुर(खबरपथ) जिला मुख्यालय सहित सूरजपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र मे पटवारियो की मनमानी के कारण नगर वासियो और ग्रामीणो का खासी दिक्कतो का सामना करना पड रहा है,, भू-माफियो के आगे पीछे और अच्छा प्लाट दिखाकर सौदेबाजी मे पटवारी ज्यादा समय बिता रहे है। वही सीधे साधे ग्रामीणो को उलझाकर पटवारी उनकी जमीन अपने रिश्तेदारो के नाम औने पौने मे खरीद कर उससे मोटी रमक कमा रहे है, पटवारियो की इस करतूत को लेकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रो मे आक्रोश व्याप्त है,, कई शिकायत होने के बाद प्रशासन की ओर से कोई कारवाही नही होने से ,, पटवारी लगातार अपनी मनमानी मे जुटे है।
सूरजपुर को राजस्व जिला बना कर उसकी स्थिती मजबूत करने की मंशा पर क्षेत्र के पटवारी पानी फेरते नजर आ रहे है,, गौरतलब है कि जिला मुख्यालय सहित जिले के विभिन्न हल्को मे पदस्थ पटवारियो ने सारे नियम कानून को ताक मे रख कर बेदधडक जमीनो की दलाली कर रहे है,, मजेदार बात ये है कि ये अपने रिश्तेदार और भूमाफियो के नाम पर ग्रामीणो की जमीन औने पौने मे खरीद बेंच कर मोटा माल कमा रहे है। ग्रामीण जब इनके पास कोई काम जाते है तो उनका रटा रटाया जवाब रहता है,, कल परसो आना,, और वो इसी तरह ग्रामीणो को महीनो घुमाते रहते है,, वही जब भू-माफियो का काम रहता है, तो वही पटवारी फोन के माध्यम से ही कर देते है। ज्यादातर लोगो का कहना है कि पटवारी अपने कार्य क्षेत्र मे कम आते है,, जिससे विवश होकर ग्रामीणो को पटवारी के घर की ओर रुख करना पडता है,, जंहा घंटो इंतजार पटवारी साहब का दर्शन तो होता है,, लेकिन चढावा के बाद ही उनका काम हो पाता है, यही नही इसी दौरान परेशान ग्रामीण को उनकी जमीन बेंचने का आफर भी दिया जाता है।
स्थानिय बडकापारा निवासी एक महिला ने नाम ना छापने के शर्त पर बताई कि वह 6 महीने से खाते मे नाम चढवाने के लिए तहसील कार्यालय के चक्कर लगा रही थी,, लेकिन उसका नाम तो नही चढा ,,लेकिन तहसीलदार और पटवारी ने मिलकर जमीन को बिकवा दिया।
चर्चित पटवारी
सूरजपुर के एक चर्चित पटवारी जिसका हल्का ,मानपुर ,लांची,डुमरिया, पसला, है,, जंहा के ग्रामीण पटवारी साहब के आलिशान बंगले के सामने और अंदर हर वक्त बैठे डेरे जमाए रहते है,, जिस नजारे को कभी भी देखा जा सकता है, ,पटवारी साहब के घर मे चल रही दुकानदारी मे निश्चित फीस के तहत बारी बारी से अपना काम करवाते है। ये सिलसिला वर्षो से बदस्तूर जारी है, पटवारी महोदय की पंहुच इतनी उपर तक की है,, कि राजस्व विभाग के प्रमुख अधिकारी भी उन पर हाथ डालने से घबराते है। तभी तो इनकी दुकानदारी दिन बदिन चमकती जा रही है।
फाईल गायब हो जाती है…
सूत्रो की माने तो सूरजपुर तहसील कार्यालय मे पदस्थ एक बाबू को अगर चढावा नही दिया जाता है ,, तो संबधित व्यक्ति की फाईल ही गायब हो जाती है या कहे कि दबा दी जाती है,, इसके बाद आप कलेक्टर तक भी शिकायत करे फाईल मिलने वाली नही है, लेकिन तहसील कार्यालय उस बाबू को अगर चढावा चढा दिया जाए ,, तो फाईल चमत्कारी तरीके से फाईल टेबल मे आ जाती है और काम भी हो जाता है।
रेट फिक्स है……
मजेदार बात यह है कि तहसीदार ,आरआई ,पटवारी सबके अलग अलग काम की अलग अलग फिक्स रेट लिस्ट है,, जैसे काउंटर साईन का 2000 से 3000 रुपए , ऋण पुस्तिका का 500 से 700 रुपए , 22 बिंदु बनवाने के लिए 3000 से 500 रुपए तक , जमीन नपाई के लिए 3000 से 5000 रुपए तक फिक्स है। कुल मिलाकर एक छोटा प्लाट देखने से लेकर खरीदने तक कुल अतिरिक्त खर्च 20 हजार के आस पास आता है।
जे.आर.भगत एसडीएम सूजरपुर
इस मामले मे शिकायत मिली है,, जांच कर आगे की कारवाही की जाएगी।