अम्बिकापुर/सीतापुर/अनिल उपाध्याय: धर्म परिवर्तन करने वालो के विरुद्ध डी लिस्टिंग का बिगुल बजाने वाले जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति और हमारे संस्कार वो कड़ी है। जो हमे अपनी सभ्यता से जोड़े रखते है। जिसने अपनी इस प्राचीन सभ्यता को भुलाकर धर्म परिवर्तन किया है, वो न घर का होता है, न घाट का। उक्त विचार उन्होंने मंगल भवन में जनजातीय सुरक्षा मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि आधुनिकता के दौर में आज का शिक्षित युवा भी अपनी प्राचीन सभ्यताओं से दूर होता जा रहा है। जो भविष्य के लिए अच्छा नही है। अभिभावकों को यह तय करना होगा कि उनका बच्चा उच्च शिक्षा के साथ सनातन परंपरा से जुड़े रहे। तभी हम अपने ऐतिहासिक धरोहरों को संजो पायेंगे। नहीं तो ये जो चंगाई सभा वाले है न वो उन्हें अपने चिकनी चुपड़ी बातो में फंसाकर उनका धर्म परिवर्तन करा देंगे।
उन्होंने डी लिस्टिंग रैली के आयोजन के बारे में बताया कि जब हमने इसकी शुरुआत की और धर्म परिवर्तित आदिवासियों को जनजातीय समुदाय से अलग कर अल्पसंख्यक का दर्जा देने की माँग की। तब ये बिलबिला उठे और अपने आपको ईसाई आदिवासी बता आदिवासी सभ्यता का पालन करने की दुहाई देने लगे। जो अपने बच्चे का नामकरण फादर के बंगले में जाकर कराते है। जिनका शादी विवाह चर्च में फादर द्वारा कराया जाता है। ऐसे लोग कैसे आदिवासी कहलायेंगे। जबकि आदिवासी समाज मे ये सारे संस्कार अपने कुलदेव की पूजा आराधना के साथ पूरे विधि विधान से किया जाता है। धर्म परिवर्तन करने वाले लोग शासन-सत्ता के आँखों मे धूल झोंककर जो दोहरा लाभ ले रहे है। उसके विरुद्ध हमारा डी लिस्टिंग अभियान जारी रहेगा।
इस कार्यक्रम को डॉ आजाद भगत समेत अन्य वक्ताओ ने भी संबोधित कर आदिवासी सभ्यता की महिमा बताई और धर्म परिवर्तित लोगो को आदिवासी समाज से डिलिस्टिंग कर उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन जनजातीय सुरक्षा मंच के बतौली प्रभारी रज्जू राम ने किया। इस अवसर पर भाजपा नेता समेत क्षेत्र से काफी संख्या में आये आदिवासी समाज की महिला-पुरुष एवं युवा सदस्य उपस्थित थे।