रायपुर. राज्यसभा सदस्य फूलो देवी नेताम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने छत्तीसगढ़ को गरीब कल्याण योजना में शामिल करने की बात कही है. पत्र में प्रदेश में बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों के वापसी का हवाला दिया है. साथ ही गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की 47 फ़ीसदी संख्या के आधार पर छत्तीसगढ़ को गरीब कल्याण योजना में शामिल करने की मांग की है.
फूलों देवी ने अपने पत्र में लिखा माननीय महोदय जी आपसे आग्रह है कि 5 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर छत्तीसगढ़ में वापस लौटे हैं. छत्तीसगढ़ में प्रवासी मजदूरों ने लॉकडाउन के 60 दिनों में रोजी मजदूरी का बहुत बड़ा नुकसान उठाया है मनरेगा की औसत मजदूरी 200 प्रतिदिन की दर से भी जोड़ा जाए तो प्रति मजदूर 12000 का नुकसान लाकडाउन के कारण हुआ है. छत्तीसगढ़ के मजदूरों की कुल मजदूरी का नुकसान ही 600 करोड़ से ज्यादा बैठता है. भूखे प्यास रहने की समस्या, इलाज की समस्या सब कुछ छत्तीसगढ़ के प्रवासी मजदूरों ने अपने प्रदेश से बाहर मजबूरी में झेली है. अपने घर अपने गांव, अपने प्रदेश लौटने की बड़ी कीमत छत्तीसगढ़ के मजदूर भाइयों ने चुकाई है. छत्तीसगढ़ वापस लौटने के लिये पुणे, कोल्हापुर, कर्नाटक, तमिलनाडु तक फंसे मजदूर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चले हैं। बसों में प्रति सवारी 5000 से 10000 तक का प्रति सदस्य किराया तक पूरे परिवार के सभी सदस्यों का मजदूरों को मजबूरी में देना पड़ा है.
अपना गहना गुरिया गिरवी रखकर कर्जदार होकर छत्तीसगढ़ के प्रवासी मजदूर वापस लौटे. अन्य राज्यों की तरह इन मजदूरों को राहत देनी चाहिये. एनएसएसओ के आंकड़ों के आधार पर छत्तीसगढ़ में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या 47.9% है और यह पूरे देश में सर्वाधिक है. गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों का राष्ट्रीय औसत शहरी क्षेत्रों के लिए 13.7% और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 25.7% है। छत्तीसगढ़ में सबसे सर्वाधिक प्रतिशत में गरीबी रेखा में नाम है तो अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ राज्य को गरीब कल्याण योजना में शामिल करना चाहिये.
गरीब कल्याण योजना में छत्तीसगढ़ को शामिल करने की मांग दोहराते हुए हम केन्द्र सरकार से पुनः मांग करते है कि छत्तीसगढ़ को भी गरीब कल्याण योजना में शामिल किया जाये.