Chhattisgarh Reservation Issue: आरक्षण पर सीएम की दो टूक, हस्ताक्षर नहीं करना तो लौटा दें, अनिश्चितकाल रखना चाहती हैं राज्यपाल

रायपुर. आज छत्तीसगढ़ में आरक्षण का मुद्दा फिर गहराया हुआ है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा है कि यदि राज्यपाल को आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर नहीं करने तो उसे वापस लौटा दे. मुख्यमंत्री भूपेश ने हेलिपैड में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि रमन सिंह ने राष्ट्रीय अखबार में बयान दिया है “गवर्नर कैन नॉट साइन द बिल ऑन विश ऑफ सीएम” यह जो बिल है विभाग तैयार करता है, कैबिनेट में प्रस्तुत होता है. उसके बाद विधानसभा में एडवाइजरी कमिटी के सामने रखा जाता है फिर उसकी चर्चा होती है. आरक्षण बिल की बात है सारी प्रक्रिया पूरी की गई. विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया. ये मुख्यमंत्री के बिल से नहीं हुआ है, विधानसभा में सर्वसम्मति से हुआ है सभी लोगों ने भाग लिया. ऐसा कोई सदस्य नहीं जिसने भाषण किया हो, पर इतना दुर्भाग्य की बात है 15 साल के मुख्यमंत्री रहे वह कहते हैं कि मुख्यमंत्री के बिल से पारित हुआ है. यह विधानसभा से पारित हुआ है विधानसभा का बिल है, मुख्यमंत्री का बिल नहीं है.

भारतीय जनता पार्टी के एक भी सदस्य ने यह नहीं कहा गवर्नर को कि इस पर हस्ताक्षर करें. वह बार-बार जाते हैं, कभी नहीं बोले इसमें हस्ताक्षर होना चाहिए. विधिक सलाहकार है, वह कौन है, यह विधिक सलाहकार एकात्म परिसर में बैठते हैं. राज्यपाल भारतीय जनता पार्टी के दबाव के कारण हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं. सारे अधिकारियों ने कहा उनको अधिकार नहीं है. फिर भी पौने 3 करोड़ की जनता के हित में मैंने पत्र का जवाब भिजवाया. अब पता चल रहा है कि उसमें फिर से गड़बड़ी निकाल रही है फिर जवाब भेजा जाएगा. फिर गड़बड़ी निकालेगी, कुल मिलाकर राज्यपाल को हस्ताक्षर नहीं करना नहीं करना है तो वापस करें. उनके अधिकार क्षेत्र में क्या है यदि बिल उचित नहीं लगता है तो वापस करें. नही तो अनिश्चितकाल तक रखे रहे. अगर अनिश्चितकाल रखना चाहती है लेकिन बहाना ढूंढ रही है, कतई उचित नहीं है. सलाहकार विधानसभा से बड़ा हो गया?