रायपुर. राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बालोद जिला में संचालित एक अस्पताल के दो डॉक्टर तथा प्रबंधन से जुड़े लोगों को गलत इलाज करने से युवक की मौत होने पर 19 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने की राशि मृतक के माता-पिता को दी जाएगी। साथ ही अस्पताल प्रबंधन तथा डॉक्टरों को पांच हजार रुपए वाद व्यय देने का फैसला सुनाया है। घटना वर्ष 2011 की है। मामले की सुनवाई राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश गौतम चौरड़िया ने की है।
राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष ने राजहरा स्थित शहीद हॉस्पिटल के डॉ. एस. जाना, डॉ. प्रताप प्रभाकर तथा अस्पताल के अध्यक्ष अथवा सचिव के खिलाफ जुर्माने की सजा सुनाई है। अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ दल्लीराजहरा निवासी पार्वती साहू तथा उसके पति अशोक साहू ने आयोग में परिवाद दायर की थी। दोनों ने अस्पताल के चिकित्सकों पर आरोप लगाया था कि उनके 17 साल के बेटे सुजीत प्रसाद का उपचार कराने 16 अप्रैल 2011 को अस्पताल में भर्ती कराया। सुजीत को झटका आ रहा था। दोनों चिकित्सकों ने बगैर मलेरिया टेस्ट किए मलेरिया का इंजेक्शन लगा दिया। इसके कारण सुजीत को हरे रंग की उल्टियां हुईं।
परिवादियों ने आयोग को बताया कि उनके बेटे की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन लोगों ने उसे भिलाई, सेक्टर-9 अस्पताल में ले जाने की बात कही, तब डॉ. जाना ने उसके बेटे को बांधकर ऑक्सीजन लगा दिया। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टर ने सुजीत को ब्रेन ट्यूमर होने की बात कहकर 15 दिन के अंदर मौत होने की बात कही। इसके साथ ही जब वे अपने बेटे को सेक्टर-9 अस्पताल ले जा रहे थे, तब डॉक्टर ने ऑक्सीजन निकाल दिया। इस वजह से कुछ दूर जाने के बाद उसकी मौत हो गई। आयोग ने मृतक के माता- पिता को वात्सल्य सुख के लिए 10 तथा दुख के लिए पांच और मानसिक पीड़ा के लिए चार लाख रुपए देने का फैसला सुनाया है।
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