मुख्यमंत्री ने दी किसानो की बधाई…
रायपुर, नौ फरवरी 2014
धान की खेती के लिए छत्तीसगढ़ को कल 10 फरवरी को एक बार फिर राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित होने का गौरव मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए प्रदेश के किसानों को बधाई देते हुए कहा है कि यह गौरवपूर्ण उपलब्धि छत्तीसगढ़ में खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं के साथ प्रदेश के लाखों मेहनतकश अन्नदाताओं के परिश्रम का ही परिणाम है। इसलिए इस बार भी राज्य सरकार यह पुरस्कार उन्हें समर्पित कर रही है।
उल्लेखनीय है कि राज्य को वर्ष 2011-12 में सर्वाधिक लगभग 62 लाख मीटरिक टन चावल उत्पादन के लिए 16 जुलाई 2011 को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के हाथों नई दिल्ली में कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने उनसे यह पुरस्कार ग्रहण किया था। इस बार राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के हाथों सोमवार 10 फरवरी को छत्तीसगढ़ केन्द्र सरकार के इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होगा। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में कृषि वानिकी के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर राष्ट्रपति छत्तीसगढ़ को वर्ष 2012-13 में सर्वाधिक 110 लाख मीटरिक टन धान यानी लगभग 73 लाख 40 हजार मीटरिक टन चावल उत्पादन के लिए छत्तीसगढ़ को कृषि कर्मण पुस्रकार प्रदान करेंगे। राष्ट्रपति इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के दो किसानों – जांजगीर-चाम्पा जिले की श्रीमती सुशीला गभेल और धमतरी जिले के श्री भोलाराम साहू को भी धान की खेती में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से कृषि मंत्री-कृषि कर्मण पुरस्कार से नवाजेंगे। मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में प्रदेश के कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल समारोह में शामिल होंगे और राज्य के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार ग्रहण करेंगे। इस मौके पर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त श्री अजय सिंह, संचालक कृषि श्री पी.आर. कृदत्त और प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री श्री चन्द्रशेखर साहू भी मौजूद रहेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज यहां किसानों के नाम जारी बधाई संदेश में कहा है कि विगत कृषि कर्मण पुरस्कार की तरह इस बार का यह पुरस्कार भी राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के मेहनतकश किसानों को समर्पित कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने नये वित्तीय वर्ष 2014-15 के बजट में खेती और उससे जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के लिए आठ हजार 459 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। इसमें से चार हजार 102 करोड़ रूपए कृषि और उद्यानिकी में खर्च किए जाएंगे। प्राथमिक सहकारी समितियों से राज्य शासन द्वारा किसानों को अब तक सिर्फ एक प्रतिशत ब्याज पर अल्पकालीन कृषि ऋणों की सुविधा दी जा रही थी, अब हमारे किसानों को इन समितियों से ब्याज मुक्त ऋण मिलेगा। धान पर उन्हें 300 रूपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस देने का प्रावधान भी नये बजट में किया गया है। विगत दस वर्षों में कृषि ऋणों में ब्याज दरों में निरंतर कमी, सिंचाई के लिए पांच हार्स पावर तक सिंचाई पम्पों को सालाना साढ़े सात हजार यूनिट निःशुल्क बिजली, सहकारी समितियों में धान खरीदी की सर्वोत्तम व्यवस्था, कृषि उपकरणों पर आकर्षक अनुदान जैसी योजनाओं से राज्य के किसानों में खेती के लिए नये उत्साह के साथ आत्मविश्वास जागृत हुआ है और वे अधिक से अधिक मेहनत करके राष्ट्र के कृषि उत्पादन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
विशेष रूप से यह भी उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के लिए इस वर्ष 2014 में माह जनवरी जहां केन्द्र सरकार की ओर से विभिन्न राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा की गई, वहीं राज्य को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के स्थापना दिवस समारोह में नई दिल्ली में दो फरवरी को एकमुश्त पांच मनरेगा पुरस्कारों से नवाजा गया। इसके अंतर्गत सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ को मनरेगा के क्रियान्वयन के लिए दो राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए। इनमें से मनरेगा के वर्ष 2012-13 में आवंटन और अन्य विकास विभागों की योजनाओं को मिलाकर अभिसरण (कन्जरर्वेन्स) श्रेणी में राज्य को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। इसके अलावा मनरेगा में ही लीडरशीप श्रेणी में राजनांदगांव जिले को और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में योजना के सराहनीय क्रियान्वयन के लिए बीजापुर जिले को तथा ग्राम पंचायतों में से बालोद जिले की खरथुली ग्राम पंचायत को पुरस्कृत किया गया।