अब तक तीन जिलों के 83 वन ग्रामों को घोषित किया गया राजस्व गांव
अन्य जिलों में भी युद्ध स्तर पर चल रही है प्रक्रिया
रायपुर, 21 जनवरी 2014
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार के घोषणा पत्र 2013 में जनता से किए गए वायदे के अनुरूप छत्तीसगढ़ में वन ग्रामों को राजस्व गांव का दर्जा देने की घोषणा पर अमल के लिए अभियान तेजी से चल रहा है।विभिन्न जिलों से राजधानी रायपुर में संकलित की जा रही सूचनाओं के अनुसार अब तक सुकमा, दंतेवाड़ा और बालोद जिलों के 83 वन ग्रामों को राजस्व गांव का दर्जा दिया जा चुका है। राजस्व विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि इसके लिए तीनों जिलों में कलेक्टर कार्यालय से अधिसूचना जारी कर दी गयी है।
अधिसूचनाओं में यह भी कहा गया है कि जिला वन अधिकार समितियों द्वारा इन वन ग्रामों को राजस्व ग्राम के रूप में परिवर्तित करने के लिए वन अधिकार मान्यता प्रदान की गयी है। तदनुसार छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा-73 के तहत वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाने की अधिसूचनाएं जारी की जा रही है। अन्य जिलों में भी इसकी प्रक्रिया युद्ध स्तर पर पूर्ण की जा रही है। इनमें सुकमा जिले के 58, दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले के 08 और बालोद जिले के 17 गांव शामिल हैं। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कल बालोद में आयोजित कार्यक्रम में वहां के इन वन ग्रामों को राजस्व गांव घोषित कर संबंधित वन प्रबंध समितियों को इस आशय का प्रमाण पत्र भी सौंपा।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार के घोषणा पत्र 2013 में प्रदेश के 400 से ज्यादा वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा देने की घोषणा की गयी है। मुख्यमंत्री ने इन वन ग्रामों को राजस्व गांव बनाने की प्रक्रिया एक जनवरी 2014 से शुरू करने के निर्देश दिए थे। राजस्व गांव बन जाने पर इन वन ग्रामों के लगभग 40 हजार परिवारों को सहकारी समितियों से खेती के लिए ऋण सुविधा के साथ-साथ प्रदेश सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का समुचित लाभ आसानी से मिल सकेगा। वहां के किसानों को ऋण पुस्तिकाएं भी दी जा रही हैं। घोषणा पर अमल करते हुए प्रदेश के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के जिन 58 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित किया गया है, उनमें करीगुण्डम (ग्राम पंचायत एलमागुड़ा), रेगड़गट्टा, सिंगारम, दंतेशपुरम, मैलासूर, गच्चनपल्ली, लिंगनपल्ली, एलारमडगू, मोसलमडगू, वीराभट्टी, तोलनई, जगावरम, डब्बा कोण्टा, पिड़मेल, रामाराम, किस्टाराम, कासाराम, मंगलगुड़ा (ग्राम पंचायत रेगड़कट्टा), सुन्नमपेंटा, धरमापेंटा, सिंदूरगुड़ा, एलकनगुड़ा, करीगुण्डम (ग्राम पंचायत टेटराई), निमलगुड़ा, साकलेर, टेटेमड़गू, एलमागुंडा, पोटकपल्ली, पालाचलमा, आमापेंटा, पेण्टापाड़, एंटापाड़, तुमलपाड़, पामलूर, बुर्कलंका, गोलापल्ली, मामड़ीगुड़ा, तारलागुड़ा, पोलमपल्ली, रायगुड़ा, तिगनपल्ली, वंजलवाही, मोसमड़गू (ग्राम पंचायत गंगलेर), भट्टीगुड़ा, जबेली, कोत्तूर, बंकामड़गू, सोमलगुड़ा, गंगलेर, पुसगुफा, मरईगुड़ा, कोराजगुड़ा, नेलवाड़ा, बोडुमपाड़, नरसापुरम, कोसाबन्दर, उदलातरई और राजामुण्डा शामिल हैं।
अधिकारियों के अनुसार बालोद जिले के जिन 17 वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा देने की घोषणा की गयी है, उनमें तालागांव, अमलीडीह, जगतरा, ओड़ेनाडीह, करियाटोला, दुग्गाबाहरा, आमापानी, कोसमी, नगबेलडीह, गोटाटोला, परकालकसा, रजोलीडीह, वनपण्डेल, आमाबाहरा, केसोपुर, मर्रामखेड़ा और सुन्दर नगर शामिल हैं। दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले में आठ वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर वन अधिकार मान्यता दी गयी है, जिनमें चन्देनार, नेटापुर, बुदपदर, जोड़ातराई, कोरकोटी, नागफनी, पुरनतराई और माड़पाल शामिल हैं।