रायपुर, 27 जून 2014
- हर विकासखण्ड से होगा एक-एक सर्वश्रेष्ठ स्कूल का चयन
- अच्छे शिक्षकों को भी पुरस्कृत किया जाएगा
- स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों में होगा पुरस्कार वितरण
- मुख्यमंत्री के निर्देश पर अमल शुरु
शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के सभी 146 विकासखंडों में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक (मिडिल) स्कूलों के लिए पुरस्कार योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दिशा-निर्देशों के अनुरूप राज्य में यह वर्ष शिक्षा के गुणवत्ता वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। उनके निर्देश पर यह पुरस्कार योजना भी शुरू की जा रही है।
स्कूल शिक्षा और आदिम जाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप ने आज बताया कि योजना के तहत हर विकासखंड से एक सर्वश्रेष्ठ प्राथमिक और एक सर्वश्रेष्ठ मिडिल स्कूल इस प्रकार कुल 292 स्कूलों का चयन कर उन्हें इस वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर और अगले वर्ष 2015 में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुरस्कृत किया जाएगा। इसके लिए इस वर्ष जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में और दिसम्बर माह के अंतिम सप्ताह में किसी तीसरे पक्ष (यूनिसेफ या अन्य किसी संस्था) के माध्यम से स्कूलों का मूल्यांकन कर उनका जिलेवार श्रेणीकरण राज्य स्तर से किया जाएगा।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने बताया कि योजना के तहत स्कूलों के चयन के लिए प्रत्येक विकासखण्ड में वहां के शिक्षा विकासखंड अधिकारी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाएगा। समिति में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास और जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सदस्य के रूप में शामिल रहेंगे। राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से इस योजना के बारे में प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों, सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग के सहायक आयुक्तों को परिपत्र जारी किया है। योजना के बारे में परिपत्र में उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि स्कूलों का चयन एक मूल्यांकन पत्रक में किया जाएगा, जिसमें शाला प्रवेश अभियान के पहले स्कूलों की साफ-सफाई, रंगाई-पोताई, वृक्षारोपण, मध्यान्ह भोजन योजना के लिए किचन शेड की तैयारी, गांव में छह वर्ष से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की संख्या, शाला प्रवेश अभियान के बाद स्कूल में इस आयु समूह के बच्चों की दर्ज संख्या, अप्रवेशी और शाला त्यागी बच्चों को मिलाकर 20 जुलाई 2014 के बाद स्कूल से बाहर रह गए छह वर्ष से 14 वर्ष के बच्चों की संख्या, 16 जून 2014 से मूल्यांकन दिवस तक स्कूल में बच्चों और शिक्षकों की औसत उपस्थिति, स्कूल में पुस्तक के रख-रखाव और उसके उपयोग, शाला प्रबंध समिति की सम्पन्न बैठकों का विवरण, शिक्षक-अभिभावक समिति की सम्पन्न बैठकों का विवरण, मूल्यांकन टीम द्वारा चयन हेतु बनाए गए अन्य मापदण्ड शामिल रहेंगे। शिक्षकों का भी मूल्यांकन किया जाएगा। इसके लिए अलग से मूल्यांकन पत्रक बनाया गया है, जिसमें नियमित रूप से पूरे समय तक स्कूलों में उपस्थित रहते हुए अध्यापन कार्य, सौंपी गई कक्षाओं के बच्चों की शिक्षा में गुणवत्ता का श्रेणीवार विवरण, कक्षा में दर्ज बच्चों की औसत उपस्थिति, कक्षा अनुशासन, क्लास रूम में नवाचारी गतिविधियों के उपयोग, शाला से बाहर रह गए बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाने के लिए शिक्षकों का समर्पण, पढ़ाई में कमजोर बच्चों के लिए शिक्षकों द्वारा किए गए उपचारात्मक शिक्षण, अध्यापन सामग्री के निर्माण और उपयोग, शिक्षक पालक सम्पर्क आदि विषय निर्धारित है। इसी तरह गणतंत्र दिवस 2015 को पुरस्कर किए जाने के लिए भी अलग से मूल्यांकन पत्रक तैयार किया गया है। इसमें स्कूल की साफ-सफाई व्यवस्था सहित कक्षावार शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए तिमाही और अर्धवार्षिक मूल्यांकन के तुलनात्मक अध्ययन सहित बच्चों की मासिक उपस्थिति आदि बिन्दु शामिल हैं। बिन्दुवार अलग-अलग मूल्यांकन पत्रकों मेें प्राथमिक और उच्च प्राथमिक (मिडिल) स्कूलों के लिए तीस-तीस अंक और इन स्कूलों के शिक्षकों के मूल्यांकन के लिए सत्ताईस-सत्ताईस अंक निर्धारित किए गए हैं। परिपत्र में बताया गया है कि मूल्यांकन के बाद जिला स्तरीय गुणवत्ता उन्नयन समिति द्वारा 15 अगस्त 2014 और 26 जनवरी 2015 को पुरस्कृत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक (मिडिल) स्कूलों और उनके पुरस्कृत शिक्षकों की सूची राज्य शासन को भेजी जाएगी। ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में पिछले महीने की 23 तारीख को राजधानी रायपुर स्थित उनके निवास कार्यालय में शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन अभियान की पहली बैठक आयोजित की गई थी। मुख्यमंत्री ने बैठक में इस सिलसिले में कई निर्देश दिए थे, जिन पर स्कूल शिक्षा विभाग ने तत्परता से अमल शुरू कर दिया है। इस बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार प्रदेश व्यापी शाला प्रवेश उत्सव एक अभियान के रूप में 16 जून से शुरू हो गया है। इसी कड़ी में अब प्राथमिक और मिडिल स्कूलों के लिए पुरस्कार योजना भी शुरू की जा रही है।