ग्रामोद्योग में रोजगार की व्यापक संभावनाएं : श्री मोहले

PUNNU LAL MOHLE, पुन्नु लाल मोहले
PUNNU LAL MOHLE

 

ग्रामोद्योग मंत्री ने ली विभागीय समीक्षा बैठक
शिल्प नगर बसाने की कार्य योजना पर त्वरित अमल के निर्देश

रायपुर. 03 फरवरी 2014

ग्रामोद्योग मंत्री श्री पुन्नूलाल मोहले ने आज विधानसभा परिसर स्थित समिति कक्ष में अधिकारियों की बैठक लेकर विभागीय योजनाओं की समीक्षा की। श्री मोहले ने बैठक में कहा कि ग्रामोद्योग के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के परम्परागत हस्त शिल्प, रेशम कृमि पालन और हाथ करघा वस्त्र उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। ग्रामीण अर्थ व्यवस्था में ग्रामोद्योग का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने अधिकारियों को परम्परागत हस्तशिल्पियों को बेहतर व्यवसाय दिलाने के लिए बस्तर संभाग के जिला मुख्यालय कोण्डागांव में शिल्प नगर की स्थापना से संबंधित कार्य योजना पर आगे की कार्रवाई जल्द सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। शिल्प नगर की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य हस्त शिल्प विकास बोर्ड द्वारा की जाएगी।
श्री मोहले ने अधिकारियों को राजधानी रायपुर में हस्तशिल्पियों के लिए और जिला मुख्यालय राजनांदगांव में मिट्टी शिल्प के लिए शो-रूम स्थापना भी जल्द करने के निर्देश दिए। बैठक में छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं माटी कला बोर्ड द्वारा संचालित अनेक योजनाओं की भी समीक्षा की गई। बैठक में ग्रामोद्याग विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अजय सिंह सहित विभागीय सचिव श्री देवेन्द्र सिंह, छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के प्रबंध संचालक श्री एन.के. खाखा, रेशम संचालनालय के अपर संचालक श्री शफीक अहमद, संयुक्त संचालक हाथ करघा श्री एन.के. चन्द्राकर, हस्तशिल्प विकास बोर्ड के प्रबंध संचालक श्री शिरीष चंद्र अग्रवाल और ग्रामोद्याग विभाग के अनेक अधिकारी मौजूद थे। ग्रामोद्योग मंत्री श्री मोहले ने ग्रामोद्योग संचालनालय के अन्तर्गत रेशम प्रभाग, हाथ करघा प्रभाग, हस्त शिल्प विकास बोर्ड, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड तथा माटी कला बोर्ड की योजनाओं की समीक्षा की।
अधिकारियों ने बैठक में बताया कि राज्य में हाथ करघा बुनकरों द्वारा विगत लगभग दो वर्ष में 158 करोड़ 68 लाख रूपए के कपड़ों का उत्पादन किया गया है। इसमें से लगभग 72 करोड़ रूपए के कपड़े चालू वित्तीय वर्ष 2013-14 में विगत दिसम्बर माह तक तैयार किए गए हैं, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष 2012-13 में करीब 86 करोड़ 86 लाख रूपए के हाथ करघा वस्त्रों का उत्पादन किया गया। इस वर्ष माह दिसम्बर 2013 तक हाथ करघा बुनकरों को लगभग 25 करोड़ रूपए का बुनाई पारिश्रमिक दिया जा चुका है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक यानी आगामी मार्च तक यह बढ़कर 38 करोड़ रूपए तक पहंुच जाएगा। ग्रामोद्योग संचालनालय से संबंधित रेशम प्रभाग के अधिकारियों ने बैठक में बताया कि प्रदेश में चालू वित्तीय वर्ष 2013-14 में 28 करोड़ नग टसर कोसा ककून के उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करते हुए अगले वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए 31 करोड़ नग की कार्य योजना तैयार की जा रही है।
बैठक में विभाग की उपलब्धियों और आगामी वित्तीय वर्ष 2014-15 की कार्ययोजना पर भी चर्चा हुई। समीक्षा बैठक में ग्रामोद्योग मंत्री श्री पुन्नूलाल मोहले ने कहा कि ग्रामोद्योग छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में रोजगार देने वाले प्रमुख कुटीर उद्योग हैं। उन्होंने इन कामों में लगे कारीगरों की कमाई बढ़ाने एवं आज के समय के मुताबिक लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्रामोद्योग और हस्तशिल्प कारीगरों को अधिक से अधिक संख्या में प्रशिक्षित करने पर जोर दिया। श्री मोहले ने हाथकरघा और रेशम प्रभाग, छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड, छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड तथा छत्तीसगढ माटीकला बोर्ड की योजनाओं और गतिविधियों में एकरूपता लाने का भी सुझाव दिया।     बैठक में ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में रेशम पालन करने वाले 83 हजार 741 लोग विभाग की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित हुए। चालू वित्तीय वर्ष 2013-14 में भी अब तक 75 हजार 802 लोगों को विभाग की योजनाओं का लाभ दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में रेशम उत्पादन में लगे स्वसहायता समूहों को 22 लाख रूपए से अधिक और चालू वित्तीय वर्ष में अब तक करीब साढ़े बीस लाख रूपए प्रदान किए गए हैं। इस दौरान 300 रेशम पालकों को प्रशिक्षित भी किया गया है। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2012-13 में छत्तीसगढ़ में लगभग साढ़े 54 हजार किलोग्राम मलबरी ककून का उत्पादन किया गया, जबकि चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 34 हजार किलोग्राम से अधिक इसका उत्पादन किया जा चुका है।
हाथकरघा प्रभाग के अधिकारियों ने बैठक में बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष 2012-13 में प्रदेश की 207 महिला स्वसहायता समूहों की लगभग साढ़े पांच हजार महिलाओं को गणवेश सिलाई के लिए साढ़े 11 करोड़ रूपए से अधिक का भुगतान किया गया। वहीं चालू वित्तीय वर्ष में दिसंबर 2013 तक गणवेश सिलाई कर शासकीय रेडीमेड वस्त्रों की आपूर्ति के एवज में इन महिला समूहों को सवा करोड़ रूपए के पारिश्रमिक का भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में नेशनल हैंडलूम एक्सपो और हाथकरघा प्रदर्शनियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के बुनकरों द्वारा निर्मित साढ़े 12 करोड़ रूपए के हाथकरघा वस्त्रों की बिक्री हुई है। वहीं चालू वित्तीय वर्ष में दिसंबर 2013 तक लगभग पौने छः करोड़ रूपए के हाथकरघा से बने कपड़ों की बिक्री की गई है।