बलरामपुर (कृष्ण मोहन कुमार) बलरामपुर जिले के ग्राम पंचायत चितविश्रामपुर में निजी जमीन पर पंचायत भवन बनाये जाने का मामला सामने आया है,इस पूरे मामले में दिलचस्प बात तो यह है कि हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद बावजूद अधिकारियों के मौखिक आदेश पर निर्माणाधीन पंचायत भवन का कार्य प्रगति पर है,वही भू स्वामी ने आरोप लगाया है कि उसने इस सम्बंध में कई बार प्रशासन के अधिकारियों को जानकारी दी ,लेकिन उसकी पीड़ा सुनने वाला कोई नही है,और वह अब कोर्ट के आदेश की अव्हेलना का मामला दर्ज कराने वाला है।
जिला मुख्यालय से महज 15 किलो मीटर दूर ग्राम चित विश्रामपुर में ग्राम पंचायत भवन का निर्माण बनौर निवासी 70 वर्षीय तुला राम उरांव के पैतृक भूमि खसरा नम्बर 292,296 रकबा 0.27,1.63 हेक्टेयर तथा उसके आसपास की काबिज कास्त की जमीन राजस्व रिकार्ड में दर्ज है,में किया जा रहा है। विदित हो कि तुला राम उरांव के द्वारा उसके निजी जमीन में पंचायत भवन निर्माण का विरोध किया गया था,बावजूद इसके पंचायत प्रतिनिधियों ने निर्माण कार्य जारी रखा,और स्थानीय प्रशासन भी समूचे मामले में मूक दर्शक की भूमिका में नजर आ रहा है,वही प्रशासन से न्याय की गुहार लगाते लगाते थक चुके तुला राम ने हाईकोर्ट की शरण ली है,और कोर्ट ने मामले की गम्भीरता को समझते हुए उक्त भूमि पर निर्माणाधीन पंचायत भवन के कार्य पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था,लेकिन वर्तमान समय में भी पंचायत भवन का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है।
वही सूत्रों की माने तो जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के मौखिक आदेश पर पंचायत भवन का निर्माण कराया जा रहा है,इसके अलावा इस पूरे मामले में दिलचस्प बात तो यह है कि जिस जमीन का त्रुटि बन्दोबस्त सुधार प्रकरण तहसील में लंबित है,तथा उक्त निजी भूमि पर पंचायत भवन निर्माण कार्य कराए जाने का प्रस्ताव किसके द्वारा दिया गया यह जांच का विषय है,और स्थानीय प्रशासन को काम बंद कराकर मामले की सघन जांच की जानी चाहिए थी,लेकिन ऐसा नही हुआ,और पीड़ित पक्ष का भरोसा अब सिर्फ हाईकोर्ट पर ही टिका हुआ है।
अधिकारी ने कहा मेरे समय का मामला नही
वही जनपद पंचायत बलरामपुर के मुख्यकार्यपालन अधिकारी बीएस राठौर का कहना है कि,यह उनके समय का मामला नही है,और इस मामले के सम्बंध में उन्हें कुछ पता नही है,उनका कहना है कि कोर्ट के आदेश का उलंघन नही होने दिया जाएगा,वे अपने कर्मचारियों से इस सम्बंध में जानकारी एकत्र कर कार्यवाही करने का हवाला दे रहे है।
यू तो सरकार ने विकास की गति में तेजी लाने तमाम तरह के संसाधन पंचायत स्तर पर उपलब्ध कराए जाने की मुहिम छेड़ रखी है,और यह कवायद भी जोरो पर है,लेकिन स्थानीय सरकारी अमले की लापरवाही से केवल विकास कार्य ही अवरुद्ध नही रह जाता बल्कि प्रशासन की किरकिरी भी होना लाजमी है।