कोरिया. छत्तीसगढ में एक ऐसा शहर है जहाँ बीते 28 साल से एक ऐसी प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है. जो अनोखी ही नही बल्कि रोचक भी है. दरअसल इस शहर मे अंग्रेजी कलेण्डर के अंतिम दिन यानी 31 दिसंबर को हर साल इस प्रतियोगिता का आय़ोजन होता है. जिसे देखने इस छोटे से शहर मे 50 हजार से अधिक लोग उमडते है.
दरअसल, छत्तीसगढ का कोरिया जिला वैसे तो काले हीरे यानी कोयले की खदानो के लिए देश भर मे जाना जाता है. लेकिन उससे अलग इसकी पहचान एक ऐसी प्रतियोगिता के भी होती है. जो विरला ही कहीं होती होगी. दरअसल जिले के मनेंद्रगढ़ में साल के अंतिम दिन बहरूपिया प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. जो इस साल भी हुई. इस प्रतियोगिता में 100 से अधिक कलाकारों ने अलग-अलग भेष बनाकर शहर के प्रमुख चौक चौराहों में अपना प्रदर्शन किया. जिनमे कोई एलियन, कोई भूत तो कोई भगवान की शक्ल धारण किए हुए. लोगो का मनोरंजन करता रहा. ऐसे मे इन कलाकारों का प्रदर्शन देखने के लिए जिले समेत पडोसी जिले मध्य प्रदेश के 50,000 से अधिक लोग शहर के चौक चौराहों में मौजूद रहे. 31 दिसंबर की दोपहर एक बजे से शुरू हुई. इस प्रतियोगिता में अलग अलग भेष भूषा धारण कलाकारों ने पूरे शहर में घूम घूमकर लोगों का भरपूर मनोरंजन किया.
गौरतलब है कि प्रगति मंच मनेंद्रगढ़ द्वारा स्वस्थ समाज निर्माण के लिए बीते 28 वर्षों से साल के अंतिम दिन बहरूपिया प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. इस प्रतियोगिता में कई कलाकार अलग-अलग वेश भूषा बनाकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. उनके प्रदर्शन के आधार पर निर्णायको द्वारा अंक दिए जाते हैं. जिसके बाद विजेता और उप विजेता प्रतिभागियों को सम्मानित किया जाता है. सम्मान के रूप में इन कलाकारों को मनेन्द्रगढ़ व आसपास के व्यापारियों द्वारा दी जाने वाली सामग्री होती है जो वे अपनी दुकान से देते हैं. इधर इस प्रतियोगिता की हर साल बढती लोकप्रियता को देखते हुए आयोजको मे स्वाभाविक खुशी का माहौल देखा गया. तो स्थानिय जनप्रतिनिधि इस आयोजन को और अधिक भव्य रूप देने के लिए सरकार से मांग भी कर रहे हैं.
इस आयोजन की खास बात यह रहती है कि आयोजन के लिए ना कोई स्टेज होता है ना कोई नियत जगह बल्कि कलाकारों को शहर के प्रमुख चौक चौराहों में घूम घूम कर अपनी कला का प्रदर्शन करना होता है. जिसके बाद प्रदर्शन के आधार पर उन्हें सम्मानित किया जाता है. बहरहाल इस दौरान मे उमडने वाली भीड को देखकर पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए थे. लेकिन हकीकत मे जरूरत है तो इस बहरुपिया प्रतियोगिता को अंतराष्ट्रीय पहचान की. जिसके लिए सरकार की नजरे इनायत होना जरुरी है.