@संजय यादव
जांजगीर-चांपा। प्रदेश, जिला, गांव के हर चौक चौराहा के पान ठेलो से लेकर होटल, रेस्टोरेंट में सिर्फ एक ही चर्चा का बाजार गर्म है कि कौन पार्टी से कौन जीत रहा है,कौन हार रहा है. इस चर्चा में लोग अब आपस में उलझते दिख रहे हैं. अपने नेता की हर सुनना किसी समर्थकों को रास नहीं आ रहा है. धीरे-धीरे बहस विवाद की स्थिति में बदल जा रहा है.
17 नवंबर को हुए मतदान के बाद जिले के सभी प्रत्याशियों की किस्मत स्ट्रांग रूम में कैद हो गई है,अब उनकी किस्मत 3 दिसंबर को खुलने वाला है लेकिन समय का अंतर ज्यादा होने की कारण समर्थकों को धैर्य नहीं है वही अपने समीकरण से सभी अपने-अपने नेताओं का जीत का गणित लगा रहे हैं. कोई भी समर्थक अपने नेता का हार सुनना पसंद नहीं कर रहा है इस स्थिति में अब लोग आपस में ही उलझ जा रहे हैं. लोगों को थोड़ा सा अब इंतजार करना होगा आज से आठ दिन बाद प्रत्याशियों की किस्मत खुल जाएगा. कौन जीतेगा कौन हारेगा इसका फैसला 3 दिसंबर को 12:00 बजे लगभग क्लियर हो जाएगा. वही प्रदेश में किसकी सरकार बन रही और किसकी सरकार नहीं बन रही यह अभी लगभग 1 से 2:00 बजे तक स्पष्ट हो जाएगा।
बस अब समर्थकों को थोड़ा और इंतजार करने की जरूरत है. हालांकि 2023 का विधानसभा चुनाव छत्तीसगढ़ के राजनीति पार्टियों के लिए सबसे अहम चुनाव था. इसके पहले भी कई चुनाव हुए है लेकिन इतना दिलचस्प नहीं था. जितना 2023 का विधानसभा चुनाव रहा है .पहले हुए चुनाव में इस तरह की स्थिति नहीं बनी थी. जो 2023 के चुनाव में बनी है. चुनाव के पहले कांग्रेस पार्टी एकतरफा सत्ता में आते साफ दिखाई दे रहा था, लेकिन मतदान की तारीख नजदीक आते-आते थोड़ा सा बदलाव दिखने लगा. भाजपा की स्थिति में थोड़ी सुधार होते दिखने लगी ,भाजपा भी अपनी रणनीति के साथ पूरे दमखम के साथ मैदान पर उतरकर कांग्रेस को अच्छे से टक्कर देते दिखी, अंत में मामला फाइट का हो गया.
हालांकि राजनीति विशेषज्ञों के अनुसार भले ही भाजपा में फाइट कि स्थिति दिख रही है लेकिन कांग्रेस की पूर्ण बहुमत आने की उम्मीद राजनीति विशेषज्ञ लगा रहे हैं. कांग्रेस को 2018 के मुकाबले भारी संख्या सीट की कटौती होते जरूर दिख रही है. जिसके चलते यह कांटे का टक्कर लग रहा है. कांग्रेस बीजेपी के बीच मुकाबला दिलचस्प हो गया है लेकिन आने वाले 3 तारीख को स्पष्ट हो जाएगा कि कांग्रेस अपने पूर्ण बहुमत के साथ 50 से 55 सीट लेकर सरकार बनाने की उम्मीद नजर आ रही है.
छत्तीसगढ़ में 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की क्या स्थिति थी यह सबके सामने है प्रदेश में भाजपा को स्वयं पर विश्वास नहीं था कि विधानसभा चुनाव फाइट हो जाएगा, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते गए केंद्र नेतृत्व ने अपना मोर्चा संभाला और मोदी एवं अमित शाह के आने बाद केंद्रीय नेतृत्व के बदौलत बीजेपी के रणनीति में बढ़ोतरी होते दिखाई दी और कांग्रेस की बराबर में फाइट करते दिखने लगी. वहीं भाजपा की घोषणा पत्र में महिलाओं के लिए लाए महतारी वंदन योजना संजीवनी साबित हुआ और बीजेपी को मजबूत कर दिया बस यही भाजपा के लिए टर्निंग प्वाइंट था तब से वह कांग्रेस से फाइट करते दिखते रहा है. बीजेपी के इस घोषणा के बाद प्रदेश सरकार मजबूर हो गई और मजबूरी में अपना भी एक महिलाओं के लिए घोषणा लाना पड़ा. हालांकि कांग्रेस पार्टी का घोषणा पत्र का प्रचार छत्तीसगढ़ में पहले ही हो गया था कि मजदूरों के लिए सालाना 10 हजार देने की घोषणा एवं महिलाओं,किसानों का कर्जमाफी से लेकर 20 क्विंटल धान की खरीदी जानकारी कांग्रेस पहले ही जारी कर दिया था ,वहीं कांग्रेस के लिए प्रदेश में ओबीसी जनगणना का बड़ा असर देखने को मिला है।
कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान शराब,पीएससी एवं कोयले घोटाले में जो आरोप लगे हैं उससे भी होते दिख रहा है.जिसको भाजपा के केंद्र नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के जनता के पास जाकर जोरदार भुनाई है. हालांकि छत्तीसगढ़ के लोग अपने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर पूरा विश्वास कर वोट किया है वहीं किसानों से लेकर मजदूर की पसंद बघेल ही है. इसका असर ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखने को मिला है.
लेकिन कहीं न कहीं सरकारी कर्मचारी एवं युवा, महिला वोटर प्रदेश सरकार से थोड़ा नाराज दिखे, छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल से सीधा टक्कर अमित शाह और नरेंद्र मोदी से था. प्रदेश भाजपा के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं था जो भूपेश बघेल को टक्कर दे सके. विधानसभा चुनाव में मोदी और अमित शाह का रणनीति चल गया. नहीं तो 2023 का चुनाव कांग्रेस के लिए आसान होते नजर आ रहा था. अब भले ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस एवं भाजपा के बीच चुनाव फाइट हो गया है लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार आराम से कांग्रेस 55 से 60 सीट लाकर बहुमत के साथ अपनी सरकार बना लेगी।