रायपुर. जुलाई 15 को एक अज्ञात शव को सिटी कोतवाली पुलिस प्रशासन को सुर्पुद किया गया था जिसके बाद पुलिस द्वारा शव को मोक्ष श्रद्धांजलि संस्था को सुपुर्द किये जाने के बाद संस्था द्वारा शव को वाहन में अविलम्ब न रखते हुए बारिश में बाहर ही रखे जाने तथा भ्रामक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल करने एवं इस पूरे घटनाक्रम में चिकित्सालय की छवि धूमिल किये जाने के प्रयास को लेकर डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल प्रबंधन द्वारा कलेक्टर को पत्र लिखा गया है.
विभागाध्यक्ष फोरेंसिक विभाग की ओर से संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक को लिखे गये पत्र के आधार पर अस्पताल प्रबंधन ने कलेक्टर को पत्र लिखकर बुधवार 15 जुलाई को एक अज्ञात व्यक्ति के शव के अंतिम संस्कार हेतु सुपुर्दगी लिये जाने के बाद मोक्ष श्रद्धांजलि संस्था द्वारा शव के साथ किये गये अमानवीय व्यवहार की विस्तृत जानकारी दी है.
इसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि अज्ञात शवों को परीक्षण (पोस्टमार्टम) हेतु लाये जाने एवं शवों के परीक्षण उपरांत संबधित पुलिस थाने को सौंप दिया जाता है जिनका निस्तारण पुलिस विभाग द्वारा अपने स्तर पर कराया जाता है. विभागाध्यक्ष ने इस बात का उल्लेख भी किया है कि विभागीय मॉर्चुरी से अज्ञात शवों के शव परीक्षण उपरांत मॉर्चुरी कर्मचारियों द्वारा शव को सम्बन्धित पुलिस को सौंप दिये जाते हैं. उक्त प्रकार से शवों का निस्तारण पुलिस द्वारा अपने स्तर पर कराया जाना होता है.
मॉर्चुरी कक्ष से संलग्न क्षेत्र में हो रही गतिविधियों के संदर्भ में प्राप्त जानकारी अनुसार पुलिस उक्त प्रकार के शवों का निस्तारण मोक्ष श्रद्धांजलि संस्था के माध्यम से कराती है. इस संस्था की गतिविधि प्रारंभ से ही शव परीक्षण के कार्यों में बाधा डालने वाली रही है. इनके माध्यम से मॉर्चुरी कक्ष के समक्ष अनाधिकृत व्यक्तियों के जमावड़ा लगा रहता है.
साथ ही कई बार उनके द्वारा अनाधिकृत वीडियोग्राफी की जाती है जो मेडिको लीगल केस में बाधा डालने वाला कृत्य है. कलेक्टर को लिखे पत्र में शवों के निस्तारण में अनावश्यक विलंब होने, शवों को रखने के लिये स्थान का अभाव होने एवं उक्त प्रकार के प्रकरणों का निराकरण संबंधित पुलिस थाना द्वारा अपने स्तर पर चिकित्सालय परिसर से बाहर किये जाने हेतु संबंधितों को निर्देशित करने हेतु निवेदन भी किया गया है जिससे भविष्य में चिकित्सालय परिसर में हो रही परेशानियों और अनावश्यक गतिविधियों को रोका जा सके ताकि अन्य शवों के परीक्षण कार्य में बाधा उत्पन्न न हो.