पहाड़ी कोरवा जनजाति के 30 युवक भी अब चलाएंगे वाहन..! 

 अम्बिकापुर

आधुनिक चकाचौध से कोसों दूर और विकास में पीछे रह गए विशेष पिछडी जनजाति पहाडी कोरवा के 30 युवक कुछ दिनों में वाहन चलाना शुरू कर देगें। लुण्ड्रा जनपद पंचायत से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित पहाड़ी कोरवा ग्राम जूनाकुदर के करीब 20 वर्षीय विशेष पिछडी जनजाति के पहाड़ी कोरवा युवक सैनाथ पिता वीर साय और इंदरसाय पिता अमर साय जैसे करीब 30 कोरवा जनजाति के युवक कुछ दिनों में गाड़ी चलाने लगेंगे। इन युवकां को मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत पॉलिटेक्निक अम्बिकापुर द्वारा ड्राईविंग कम मैकेनिक का मुफ्त में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

ग्राम जूनाकुदर के पहाड़ी कोरवा इंदरसाय ने बताया कि वह 5 वीं कक्षा तक की पढ़ाई की है। इसके बाद वह रोजी मजदूरी कर अपने 4 सदस्यीय परिवार का भरण पोषण करता रहा है। इंदर साय ने बताया है कि उसके पिता के पास करीब 1.50 एकड़ भूमि है   जिससे जीविकोर्पजन करना संभव नहीं है। उसमें से भी बटवारें के बाद उसे करीब 25 डिसमिल जमीन ही मिल पाएगी। उसने कहा कि रोजी मजदूरी के अलावा उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं रहा। इंदरसाय को मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत ड्राईविंग प्रशिक्षण देने के कार्यक्रम के बारे में जब पता लगा तो उसने अपना नाम उसमें लिखवा लिया।

लुण्ड्रा जनपद पंचायत के 30 पहाड़ी युवकों को गत 15 सितम्बर से पॉलिटेक्निक अम्बिकापुर द्वारा ड्राईविंग कम मैकेनिक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन युवकों के लिए प्रशिक्षण के दौरान आवास की व्यवस्था भी की गई है। इन्हें छः सौ घण्टे का प्रशिक्षण दिया जायेगा, जिसमें से प्रतिदिन छः घण्टे का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें सैद्धांतिक प्रशिक्षण के साथ ही वाहन चलाने का व्यवहारिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। सैनाथ जैसे कई पहाडी कोरवा युवकों ने कहा कि वे कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि उन्हें मुफ्त में वाहन चलाने का प्रशिक्षण मिल जायेगा। उन्होंने कहा कि यह तो सब मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना शुरू होने से हम जैसे दूर-दराज के गरीब युवकों को वाहन चलाने का प्रशिक्षण लेने का सुअवसर मिल सका है।

आठवीं कक्षा पास सैनाथ जैसे कई पहाड़ी युवकों ने कहा कि वाहन चलाने का प्रशिक्षण पूर्ण करने बाद वे अपने लिए स्वंय का ऑटो, ट्रेक्टर, मारूति वैन आदि वाहन लेना चाहते हैं ताकि वे भविष्य में किसी की नौकरी न कर स्वंय अपने वाहन चलाकर अपने परिवार का अच्छी तरह से पालन पोषण कर सकें।