Leopard panic in Korba: कोरबा जिले के वनमंडल कटघोरा अंतर्गत पाली वन परीक्षेत्र के भंडारखोल से लगे बामर झूंझा नाला के पास तेंदुआ ने एक मवेशी का शिकार किया है। डेढ़ माह के भीतर वन मंडल के अलग-अलग स्थानों में शिकार किए जाने की यह तीसरी घटना हैं। क्षेत्र में हाथियों का उत्पात पहले से ही बना हुआ है, ऐसे में अब तेंदुए की दस्तक ने दोहरी समस्या खड़ी कर दी है।
खैरा बाहर के पुनिराम पिता विशाल सिंह (55 वर्ष) अपनी गायों को चराने के लिए जंगल के किनारे ले गया था। जहां तेंदुए ने गाय पर हमला कर दिया। गाय की आवाज सुन कर चरवाहे ने चिल्लाना शुरू कर दिया। तब तक वहां खासी संख्या में ग्रामीण आ गए। लोगों की आने की आहट पाकर तेंदुआ वहां भाग निकला। इसकी सूचना वन अधिकारियों को दी गई। शिकार स्थल पर पंजे का निशान नहीं मिला है। बताना होगा कि एक ओर देश भर में चीता की चर्चा बनी हुई है। वहीं कटघोरा वन मंडल में तेंदुए के विचरण का संकेत मिल रहे हैं। इससे पहले तेंदुए ने पाली वन परिक्षेत्र में चैतुरगढ़ अष्टभुजी मंदिर के पास बैल का शिकार कया था।
वहीं बलबहरा के पास बछड़े को शिकार बनाया था। यहां शिकार के आसपास पंजों के निशान मिले थे। बहरबाल घटना स्थल के आसपास तेंदुए को कैमरे में कैद करने के लिए आसपास पेंड़ों में तीन ट्रैक कैमरे लगाए गए थै। बहरहाल एक भी कैमरे में तेंदुए का चित्र नहीं आया हैं। शिकार के आसपास बने पंजों के निशान का ट्रैक किया गया है। अधकारी चौहान ने बताया कि पसान वनक्षेत्र के अचानकमार पर्वत श्रृंखला से जुड़ा हुआ है। ऐसे में वन्य प्राणियों का आना जाना लगा रहता हैं। बताना होगा कि हाथियों का अभी तरईमार व बलबहरा के जंगल में विचरण कर रहे है। थरहा नुकसान से ग्रामीण हलकान हैं।