गांव के नाम को चरितार्थ करना गांव वालो की मजबूरी..
जंहा के लोग मुलभुत सुविधाओ से वंचित है
बच्चे हर दिन जान हथेली पर रखकर स्कुल जाने को मजबूर है !
कोरबा से इरफान खान की रिपोर्ट
“गांव का नाम नवापारा“ “ काम नाव पार करना” जी हां कोरबा का एक गांव का नाम नवापारा है और यंहा के लोग नांव पर कर अपनी जिंदगी की शुरुआत करते है। सुनकर अटपटा सा जरुर लगता है, लेकिन महज “आ” की मात्रा मे भेद ना होता तो इस गांव के रहवासियो की जिंदगी की नईया भी अब तक पार हो चुकी होती।
छत्तीसगढ सरकार विकास के दावे कर अपनी पीठ थपथापती जरुर होगी,, मगर अब भी कोरबा के एक गांव की ऐसी तस्वीर है,, जो सरकार को मुंह चिढ़ाने के लिए काफी है ,इस गांव का नाम है नावापारा ,औऱ यंहा के लोग नाव पार करके ही अपनी जिंदगी के सफर मे जुटे
है,, यानी गांव के नाम को चरितार्थ करना इनकी मजबूरी बन गई है।
बूढ़ापारा गाव के आश्रित गाव नवापारा कि ये दशा आज से नहीं बल्कि सालो से ही ऐसी ही है मौषम कोई भी हो मगर इनके आवागमन का साधन यही है ऐसा नहीं कि हर बार ये आसानी से नदी पार कर लेते हो बल्कि कई बार नाव पलटने से हादसे में लोगो कि जान भी जा चुकी है मगर इसके बाद भी इनकी सुध किसी ने नहीं ली है,,,, इस विषय में जब हमने अधिकारियो से बात कि तो उन्होंने मामले को गम्भीरता से लेते हुए इस विषय में जल्द ही कोई पहल करने और रास्ता निकालने कि बात कही ताकि किसी बड़े हादसे से बचा जा सके ! बहरहाल गाव कि इस बेबसी को देखकर कहा जा सकता है कि आज भी कई गाव विकाश से कोशो दूर है ऐसे में जरुरत है सार्थक पहल कि ताकि सचमुच का विकाश हो सके !