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[highlight color=”red”]रायपुर/कांकेर [/highlight]
राजस्थान के जयपुर के बाद अब गाय के मरने की बड़ी खबर छत्तीसगढ़ से आ रही है। अगर सरकारी आंकड़ों को सहीं मानें तो छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के कर्रामाड़ गौशाला केंद्र में अप्रैल माह से लेकर अभी तक कुल 67 गायों की मौत हुई है। वहीँ विपक्ष का आरोप है कि पिछले महीने भर में ही 140 गायों ने गौशाला में दम तोड़ा है। गाँव वाले भी एक महीने में 100 से अधिक गायों के मरने का दावा कर रहे हैं। गौशाला सरकारी अनुदान से संचालित है, जिसे हर साल करीब 20 लाख का अनुदान मिलता है, इसके बावजूद पशु चिकित्सकों का कहना है कि गायों की मौत भूख से हुई है। जब इन दावों और आरोपों की पड़ताल की तो सामने आई चौकाने वाली सच्चाई। फटाफट न्यूज की इस रिपोर्ट में देखिये की किस तरह गौशाला के बगल में स्थित जंगल में गाय की मौत के बाद उन्हें फेंका गया है।
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के दुर्गकोंदल में साल 2012 से कामधेनु गौशाला केंद्र चल रहा है। 4 दिन पहले स्थानीय अख़बारों में एक खबर छपी की गौशाला में अब तक 140 गायों की मौत हो चुकी है। गाय की राजनीति में माहिर नेताओं ने तुरंत सरकार पर हमला बोल दिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पिछले एक महीने में 140 गायों की मौत के दावे के साथ सीएम रमन सिंह और गौरक्षकों पर गायों का चारा खाने का आरोप लगा दिया।
गायों की मौत की सच्चाई जानने जब हमारी टीम गौशाला पंहुची तो वहां पहले से ही आला अधिकारी लाव- लश्कर के साथ डटे हुए थे। करीब 2 एकड़ में फैली गौशाला किसी दलदल में तब्दील हो चुकी है, जिसे मिट्टी पाटकर फिर से ठोस करने की कोशिश की जा रही थी। गायों की हालत इतनी ख़राब है की आप जिन्दा और मरी गायों में अंतर ही नहीं कर पाएंगे। कई हफ़्तों से भूखी इन गायों की चमड़ी हड्डियों से चिपक गयी है और अब इनके पास इतनी ताकत भी नहीं बची है कि ये अपनी पलकें भी झपका सकें। मौके पर पंहुचे इलाके के तहसीलदार भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि गौशाला के हालात गायों के रहने लायक बिलकुल भी नहीं हैं। सुनिये तहसीलदार साहब का जवाब जो यह कह रहे हैं की सवाल ऐसे मत पूछियेगा जिसका मैं जवाब न दे सकूँ।
सरकारी आंकडे बताते हैं कि अप्रैल माह से लेकर अब तक कुल 67 गायों की मौत हुई है, जिनमें से 29 की मौत पिछले 10 दिनों में ही हुई है। गौशाला में फिलहाल 279 गाय हैं, गौशाला में रहने वाली गायों के लिए सरकार प्रतिदिन 25 रुपये के हिसाब से अनुदान देती है। जिसे जोड़ें तो सालभर में करीब 20 लाख का अनुदान होता है। दरअसल ये भारी भरकम राशि सरकार इसलिए जारी करती है ताकि गायों को उचित रखरखाव के साथ भर पेट भोजन मिल सके, लेकिन लगातार हो रही गायों की मौत की खबर पाकर मौके पर पंहुचे पशु चिकित्सकों की मानें तो गायों की मौत का कारण भूख है, मतलब जिन गायों के खाने के लिए लाखों रुपये सरकार जारी कर रही है उन्ही गायों की मौत भूख से हो रही है…
गौशाला के बगल में रहने वाले ग्रामीण भी पिछले 1 महीने में 100 से अधिक गायों के मरने की बात कह रहे हैं, इतना ही नहीं ग्रामीणों का ये भी आरोप है कि गौशाला संचालक गायों की लाश को गाँव के आसपास ऐसे ही खुले में फेंक देते हैं, जब हमने गाँव वालों के दावों की हकीकत जानने आसपास के इलाके की पड़ताल की तो गौशाला से 300 मीटर की दूरी पर ही हमें जंगलों में पड़ी मरी गायों की लाशें दिख गईं। ग्रामीण इन लाशों से उठती बदबू से बेहद परेशान हैं।
गौशाला संचालक पियूष घोष मर रही गाय की मौत का आंकड़ा खुलकर नहीं बताना चाहते हैं। उनसे जब हमने यह जानने की कोशिश की तो वो झूंठा आंकड़ा बताने लगे। फिर बोले मैं तो पिछले 10 दिन का आंकड़ा बता रहा था। इतना ही नहीं जो गाय मर रही हैं उनका पोस्टमार्टम तक नहीं किया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जनता कांग्रेस पार्टी के लोग गौशाला जाकर जांच कर लौट चुके हैं तो वहीँ कांग्रेस का दल जाने वाला है। सरकार की तरफ से भी अधिकारी-कर्मचारी जांच करने के नाम पर गौशाला केंद्र पहुँच रहे हैं। वहीँ अब गौरक्षक और गौ सेवक भी इतनी बड़ी संख्या में गाय के मरने की खबर सुनकर आक्रोशित हैं। ऐसे में सरकार के लिए फिलहाल मर रही गायों के संख्या में रोक लगाना सबसे बड़ी चुनौती है।
[highlight color=”red”]छत्तीसगढ मे गाय के नाम पर राजनीति शुरु .. देखिए वीडियो मे गाय की मौत [/highlight]
https://youtu.be/TT3aL0e7ZJI