जांजगीर चाम्पा। छत्तीसगढ़ में 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी नई रणनीति के साथ मैदान में उतरने जा रही है। प्रदेश बीजेपी में जिस तरह इन दिनों बदलाव का दौर चल रहा है यह आने वाले समय मे भी जारी रहेगा। प्रदेश अध्यक्ष से लेकर नेता प्रतिपक्ष, जिलाध्यक्ष को बदले गए है निश्चित ही आने वाले चुनाव में पुराने चेहरे को बदला जायेगा। वही प्रत्याशी चयन को लेकर भी कई चौकाने वाली बात सामने आ रही है।
इस बार बीजेपी अपने सभी सिटिंग एमएलए को ड्राप कर नए चेहरे पर दांव लगाने जा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि इस बार पार्टी में सख्त निर्देश है कि बीजेपी किसी चेहरे पर चुनाव नही लड़ेगी। बीजेपी का इस बार सिर्फ अपने चुनाव निशान पर चुनाव लड़ेगी ऐसा कहा जा रहा है। लेकिन इसमें कितना सच्चाई है यह आने वाला समय में पता चल पायेगा। बीजेपी के द्वारा कराए चुनावी सर्वे की बात करे तो जांजगीर चाम्पा विधानसभा में सिटिंग एमएलए की पोजिशन कुछ खास नही है। क्षेत्र की जनता विधायक से नाखुश नजर आ रहे है । वही आंतरिक गुटबाजी से विधानसभा में कार्यकर्ता बटे हुए है। चुनाव में गुटबाजी ज्यादा हावी न हो इस लिए पार्टी अभी से डेमेज कंट्रोल कर कार्यकर्ताओं को मैनेज कर रही है। जांजगीर चाम्पा विधानसभा के विधायक नारायण चंदेल को पार्टी पहले से ही नेता प्रतिपक्ष का पोस्ट देकर यह जता दिया है कि एक व्यक्ति एक ही पद पर रह सकता है। बीजेपी को इस विधानसभा से नए युवा चेहरा की तलाश है। संघ से जुड़े किसी नए चेहरे को इस बार पार्टी मौके दे सकती है।
जांजगीर चाम्पा विधानसभा में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से संगठन सलाह मशवरा ले कर विधायक का फीडबैक भी ले रही है। लेकिन अभी तक किये सर्वे के अनुसार मौजूदा विधायक नारायण चंदेल का परफॉमेंस कमजोर दिख रहा है। सत्ता दे दूर होने कारण विधानसभा में कोई बड़े विकास कार्य इन चार वर्षों में नही दिख रहे है। वही अब नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अपने विधानसभा में समय कम देने का भी आरोप कार्यकर्ता लगा रहे है। विपक्ष में होने के बाउजूद अपने क्षेत्र के मुद्दों को विधानसभा में नही उठाने का भी आरोप लग रहे है। क्षेत्र में कई बड़े समस्या मौजूद है जिससे जनता रोजाना सामना कर रही है लेकिन इस ओर सुनने वाला कोई नही है। जांजगीर चाम्पा में अभी तक देखा गया है कि किसी भी पार्टी को लगातार विधानसभा में सफलता नही मिली हैं। एक बार बीजेपी को मौका मिलता है तो दूसरी बारी में कांग्रेस को पार्टी को लिहाजा इस बार बारी कांग्रेस की है। इसलिए पार्टी रिस्क नही लेना चाह रही है। आने वाले समय मे सत्ता में आने के लिए एक एक विधानसभा में पार्टी चयन को लेकर कई सर्वे कराए जा रहे है। जिससे यह तय किया जयेगा कि सिटिंग विधायको का पोजीशन कैसा है। जिसके आधार पर प्रत्याशी चयन किया जाएगा।