समाज सेवा की असल मिशाल पेश की
अब फ्री में अपना भविष्य गढ़ सकेंगे दृष्टी बाधित बच्चे
अम्बिकापुर शहर की दिव्यांग युवती ने समाज सेवा की उत्कृष्ट मिशाल पेश की है.. खुद एक हाथ से दिव्यांग रीता अग्रवाल ने समाज में दिव्यांगो के दर्द को सही मायनों में महसूस किया और एक ऐसा आवासीय विद्द्यालय खोला है जिसमे पूर्णतः द्रष्टि बाधित बच्चों को निशुल्क शिक्षा के साथ-साथ आवास व भोजन भी दिया जाएगा.. इतना ही नहीं इस संस्था में पढ़ाई के साथ-साथ संगीत, खेल व अन्य गतिविधिया भी दिव्यांग बच्चो को सिखाई जाएगी..
गौरतलब है की अंबिकापुर में निःशक्त जन सेवा संगठन के द्वारा पूरे छत्तीसगढ़ में दिव्यांगो के अधिकारों के लिए पिछले 5 वर्षों से काम किया जा रहा है.. इस संस्था ने समाज सेवा के क्षेत्र में विभिन्न उपलब्धियां भी पायी है.. यह संस्था पूर्णतः दिव्यांगों के लिए समर्पित संस्था है। जो 11 माह से छतीसगढ़ का पहला निजि विकलांग आवसीय पुनर्वास केंद्र संचालित कर रही थी.. कलावती पुनर्वास केंद्र नाम की इस निजी संस्था में घर से उपेक्षित युवा दिव्यांग रह कर आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करते हैं..
अब संगठन ने इस दिशा में आगे बढ़ते हुए दृष्टि बाधित बच्चों के लिए आवासीय प्रायमरी विद्यालय प्रारम्भ किया है जो पूर्णतः दिव्यांगों पर आधारित तर्क पर काम करेगा। पूर्णतः दिव्यांगों के लिए दिव्यांगों के द्वारा संचालित संस्था है। जो आप के बच्चे को शिक्षा के साथ संगीत व विभिन्न प्रकार की गतिविधियां भी करायेगी..
इस समबन्ध में दिव्यांग रीता अग्रवाल ने शहर के विभिन्न समाज सेवियों से सहयोग लिया है और सभी को सहयोग से इस कार्य को आगे बढाने की बात कही है.. बहरहाल आज के व्यस्तम समाज में जहा शासन द्वारा दिव्यांगो के कल्याण के लिए बनाये गए समाज कल्याण विभाग में सुविधाओं के लिए दिव्यांग भटकते नजर आते है तो वही कुछ ऐसे लोग भी है जो खुद के खर्च से इस तरह के परोपकार कर रहे है..