अन्नदाता ने की आत्मह्त्या… 49,543 रुपए का था सरकारी कर्ज
अम्बिकापुर जिले मे एक बार फिर किसान आत्महत्या का मामला सामने आया है. इस बार कर्ज के बोझ मे दबे एक किसान ने आत्महत्या कर ली है. किसान के फांसी लगाकर आत्महत्या करने का ये मामला आदिवासी बाहुल्य जिले के सीतापुर ब्लाक के उलकिया गांव का है. फिलहाल धरतीपुत्र किसान की इस खुदखुशी के बाद जहां प्रशासनिक व्यवस्थाओ मे प्रश्न चिन्ह खडा हुआ है तो वही मृतक किसान की पत्नी और पांच बच्चे अब बेसहारा हो चुके है. इस गंभीर मामले में मृत किसान के प्रति संवेदनशीलता रखने की जगह समिति प्रबंधक खुद बता रहे है की कर्ज नहीं चुका पाने के कारण उसे खाद बीज नहीं दिया गया.
आदिवासी बाहुल्य सरगुजा कभी मानव तस्करी से लिए सुर्खियो मे रहता है तो कभी महामारी से ग्रसित लोगो की मौत जिले को सुर्खियो मे रहने पर मजबूर कर देती है. इस बार मामला एक युवा किसान के फांसी मे लटक कर आत्महत्या करने का है. दरअसल जिले के सीतापुर ब्लाक के उलकिया गांव मे रहने वाले 36 वर्षीय किसान फुलेश्वर पैकरा ने घर की मयार मे लटकर खुदखुशी कर ली है. मृतक किसान के चाचा की माने तो उसके उपर क्षेत्र के प्रतापगढ आदिम जाति सहकारी समिति का कर्ज था और इसी कारण समिति के कई बार चक्कर लगाने के बाद भी समिति प्रबंधन से जुडे लोग उसे खाद देने से मना कर रहे थे. जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली.
खुदखुशी करने वाला युवा किसान साढे चार एकड का कास्तकार था और धान की फसल लगाने के लिए उसने अपने खेत की जुताई कर ली थी और रोपाई करने के लिए धान का रोपा भी तैयार कर लिया था पर क्षेत्र की सहकारी समिति प्रबंधन उसे सस्ते दर मे मिलने वाला खाद देने से इंकार कर दिया। इधर प्रतापगढ कापरेटिक सोसायटी के प्रबंधक ने खुद इस बात की पुष्टी भी कर दी है कि किसान फुलेश्वर के ऊपर उन्चास हजार का कर्ज था और ऐसी स्थिती मे उनको सोसायटी का खाद बीज नही दिया जा सकता है.
खुदखुशी करने वाले किसान ने कुछ महीने पहले एक प्रायवेट फाईनेंस से एक ट्रेक्टर लिया था और ट्रेक्टर की किश्त ना पटा पाने के काऱण फाईनेंसर ने उसका ट्रेक्टर भी खींच लिया था,, कहते है उसके बाद से किसान की मानषिक स्थिती भी ठीक नही रहती थी, फिलहाल मृत किसान की मौत को सीतापुर पुलिस साधारण आत्महत्या का मामला बताने मे तुली है और पुलिस ये भी बता रही है कि खुदखुशी करने वाला किसान पहले भी आत्महत्या का प्रयास कर चुका था.
किसान के परिजनो और कापरेटिव सोसायटी प्रबंधक दोनो की बातो का अगर निचोड निकाला जाए तो फिर ये भी साबित हो जाता है कि किसान पर कापरेटिक सोसायटी का कर्ज भी था और कर्ज के बोझ तले किसान ने आत्महत्या भी की है, बहरहाल किसान ने किन परिस्थितियो मे आत्महत्या की है, क्या वो कर्ज के बोझ को सहन नही कर पाया या फिर उसकी मानषिक स्थिती ठीक नही थी ये तो प्रशासनिक जांच मे ही सामने आ सकता है.
सुख सागर बलदेव_प्रबंधक_प्रतापगढ आदिम जाति सहकारी समिति मर्यादित
समिति प्रबंधक का कहना है की मृतक पर पहले का ही कर्ज बकाया था और जब तक पुराना कर्ज बाकी है तब तक किसान को धान बीज नहीं दिया जा सकता.. वही किसान की आत्म ह्त्या के कारणों के बारे में महाशय कुछ नहीं जानते है पर कर्ज का हिसाब किताब इन्हें बखूबी पता है.