नसबंदी करवाने मचा बबाल : अधिकारी से कहा सुनी

  • लाचार स्वास्थ्य विभाग ने कहा नियम से अलग नहीं करेंगे काम

अम्बिकापुर

परिवार नियोजन के तहत नसबंदी किये जाने को लेकर आज सप्ताह में दूसरी बार जिला अस्पताल में महिलाओं ने अधिकारियों से बहस की। ज्यादा संख्या में एक साथ जिला अस्पताल पहुंची महिलाए नसबंदी फार्म नहीं मिलने पर आक्रोशित हो गई और महिलाएं अस्पताल से निकलकर अस्पताल के मुख्य द्वार में आरएमओ डाॅ. श्रीवास्तव को घेर लिया।

आरएमओं का कहना था कि यहां दो ही सर्जन है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत एक दिन में जितने लोगों की नसबंदी करनी है। उससे अलग हम लोग कुछ नहीं कर सकते। हम सभी नियमों से बंधे है। चुंकि अधिकांश महिलाएं सूरजपुर जिले से पहुंची थी तो उन्हे आरएमओ ने साफ कहा कि पहले सरगुजा से आये लोगों की नसबंदी होगी। सूरजपुर से आप लोगों को यहां आकर नसबंदी करानी है तो पहले वहां की सीएमओं व बीएमओ से चर्चा कर यहां के अधिकारियों से एक समय निर्धारित करने को कहे। तब जाकर यह व्यवस्था सुधर सकती है। महिलाएं काफी देर तक अस्पताल के सामने भीड़ लगाकर बैठी रही। बाद में नियम के अनुसार 60 लोगों को नसबंदी का फार्म दिया गया। खैर सरगुजा संभाग में मात्र दो सर्जन के रहने से और लोगों में जागरूकता बढ़ने के कारण फिलहाल इस प्रकार का नजारा जिला अस्पताल में अब रोज देखने को मिलेगा।

गौरतलब है कि एक समय लोगों की मिन्नतें स्वास्थ्य विभाग को करनी पड़ती थी। और तो और कई जगह कैम्प लगाने पर भी मात्र दो-तीन लोग ही नसबंदी के लिये सामने आते थे। शासन की ओर से नसबंदी कराने वालों को प्रोत्साहन देने राशि भी दी जाती रही है। इसके बाद भी विभाग हमेशा अपने लक्ष्य से पीछे ही रहा है। इन सबसे अलग वर्तमान की बात करें तो लोगों में जब जागरूकता आई है तो सरगुजा संभाग में संसाधन की कमी एक बड़ी समस्या बन कर सामने आ गई है।