- बाल अपराध में सरगुजा के कदम आगे
- 2013 से अब तक 154 नाबालिगों का गंभीर अपराधो में पायी गयी संलिप्तता
अम्बिकापुर(दीपक सराठे)
हाथ में बस्ता, किताब और कलम थामने की उम्र में ही मासूम जुर्म की दुनिया में अपना हाथ आजमाने लगे है। सरगुजा जिले में अगर बाल अपराध के आकडो पर नजर डाले तो बीते तीन साल में नाबालिग बच्चे 154 गंभीर अपराधो में शामिल पाए गए है। जो सभ्य समाज और बाल अपराध पर नियंत्रण करने का दावा करने वाले समाज सेवी संगठनो के सामने एक बडा सवाल है।
देश में बाल श्रमिको के लिए बनने वाले कानून और शिक्षा के अधिकार जैसे नियम बढ रहे बाल अपराध के सामने घुटने टेक चुके है। जिसकी बानगी सरगुजा जिले में बढ रहे बाल अपराध खुद बयां कर रहे है। पिछले वर्षो में सरगुजा क्षेत्र में जिस प्रकार से संगीन अपराधो में वृद्दि हुई है। उनमें नाबालिग बच्चो की संलिप्तता ज्यादा पाई गई है। चाहे वो कबाड चोरी हो या फिर घर में सेंधमारी । मोबाईल दुकान सहित अन्य दुकानो में बडी सफाई से नाबालिग बच्चे इस प्रकार के गंभीर अपराध अंजाम देते पकडे जा चुके है। ज्यादातर देखा गया है कि कम समय में ज्यादा पैसा कमाने व खासतौर पर नशे की लत को पूरा करने की उद्देश्य से किया जा रहा नाबालिग बच्चो द्वारा यह अपराध दिन ब दिन बढता ही जा रहा है। इसकी वजह चाहे जो भी हो लेकिन सरगुजा क्षेत्र में बाल श्रमिको को एक अच्छी शिक्षा प्रदान करने से लेकर उन्हे शिक्षा से जोडने की जो कवायद शासन प्रशासन के द्वारा की जा रही है उस पर ये आंकडे उनकी असफलता की कहानी बयां कर रहे है।
2013 से 2015 के बीच में हुए बाल अपराध के आंकडे
हत्या के मामले में 7
हत्या का प्रयास के 6
बलात्कार के 34
छेडछाड के 21
अपहरण के 11
चोरी के 65 मामले में बाल अपचारी का चालान किया गया है।
जानकारो की माने तो बाल अपराध के चौंकाने वाले इन आकडो की कई वजह है । जिसमें शिक्षा पाने की उम्र में बच्चो को मजदूरी के कार्य में ढकेल देना। इंटरनेट, टीव्ही , मोबाईल जैसे ज्ञानवर्धक साधनो का गलत उपयोग, कम उम्र में नशे का आदि हो जाना , आधुनिक युग के चकाचौंध में बढ रहे संसाधनो को पाने की लालसा में चोरी और लूट जैसे गंभीर अपराध करना जैसे कारण मुख्य है। इसके साथ ही इंटरनेट में अश्लीलता पर रोक नही लग पाने से ही बच्चे अकेलेपन से दूर होने और अश्लीलता की ओर ज्यादा ध्यान देने भी बाल अपराध की संख्या में वृद्दि हुई है।