रायपुर
पढ़ाई -लिखाई का खर्चा निकालने के साथ माता-पिता को करते हैं आर्थिक मदद
स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाले अनेक युवाओं को पढ़ाई – लिखाई और अपनी जरूरतों का खर्चा निकालने के लिए काम-धंधा करने के अनेक उदाहरण आपने देखे सुने होंगे। ऐसे ही एक परिश्रमी युवक हैं राजनांदगांव जिले के मोहारा गांव के कुशल देवांगन। कुशल देवांगन ने बटेर पालन को अपनी आय का जरिया बनाया है। देवांगन बटेर पालन से न केवल अपनी पढ़ाई -लिखाई खर्चा चला रहे हैं,बल्कि अपने माता-पिता की थोड़ी बहुत आर्थिक मदद भी करते हैं। बी.ए. अंतिम वर्ष में पढ़ रहे देवांगन इस व्यवसाय को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
कुशल देवांगन ने वर्ष 2012 में बटेर पालन की शुरूआत 100 चूजे से की। इसके साथ ही वह राज्य शासन के पशु पालन विभाग के अधिकारियों के निरंतर सम्पर्क में रहकर बटेर पालन की तकनीक, उचित प्रबंधन, पोषण,रखरखाव, बटेर को होने वाली बीमारियों और टीकाकरण की जानकारी लेते रहे। व्यवसाय में थोड़ी तरक्की हुई तो कुशल ने बटेरों संख्या बढ़ाकर 500 तक कर ली। उसके बाद बटेर बड़े हुए तो स्थानीय बाजार में 35 रूपए में एक बटेर बेचना शुरू कर दिया। कुशल देवांगन की लगन और मेहनत को देखकर कृषि विभाग की ’आत्मा’ योजना के तहत उनका चयन किया गया और उन्हें व्यवसाय को बढ़ाने के लिए बटेर के 600 चूजे दिए गए। देवांगन पशु पालन विभाग द्वारा पद्मनाभपुर में संचालित शासकीय पोल्ट्री फार्म से बटेर के चूजे लेते हैं। आज कुशल देवांगन का व्यवसाय ठीक-ठाक चल रहा है। वे बटेर के साथ मुर्गी पालन भी करते हैं। उनको इस व्यवसाय से 10 हजार से 12 हजार रूपए की मासिक आय हो रही है।