बलरामपुर (कृष्ण मोहन कुमार) जिले के बरईटार गांव के सरकारी स्कूल के बच्चों को भरपेट मध्यान्ह भोजन नही देने का मामला प्रकाश में आया है,स्कूली बच्चों ने मध्यान्ह भोजन वितरित करने वाले महिला स्व सहायता समूह पर यह गम्भीर आरोप लगाया है,तो वही जिला शिक्षा अधिकारी सरकारी स्कूलों के बच्चो को भरपेट भोजन देने का दावा कर रहे है,और भरपेट मध्यान्ह भोजन नही दिए जाने पर कार्यवाही का आस्वासन दे रहे है।
बलरामपुर जिले के रामचन्द्रपुर विकासखण्ड के दुरस्त सुदूर वनांचल क्षेत्र में बसे ग्राम पंचायत पचावल के आश्रित ग्राम बरईटार में शासकीय प्राथमिक शाला में स्व सहायता समूह के द्वारा लगभग सात वर्षों से मध्यान्ह भोजन बना कर वितरित करने का काम किया जा रहा है,और राशन सामग्री बचाने के फेर में इन स्कूली बच्चों को भर पेट खाना नही दिया जा रहा है,स्कूली बच्चों का आरोप है कि उन्हें एक बार ही खाना दिया जाता है,और दोबारा मांगने पर उन्हें नही दिया जाता,और वे आधा पेट खाना खा कर दिन भर की पढ़ाई पूरी होने के बाद घर जा कर खाना खाते है।
दरसल बरईटार के इस स्कूल में बच्चे 2 से 3 किलोमीटर तक का फासला तयकर पढ़ने पहुँचते है,और शासन के नियमके अनुसार स्कूल सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक लगता है,ऐसे में इन स्कूली विद्यार्थियों को दोपहर एक बजे मध्यान्ह भोजन दिया जाता है,और बच्चे आधा पेट खाकर ही वापस घर लौट जाते है।
मानिटरिंग नही कर पा रहे शिक्षक
वही मध्यान्ह भोजन बनाने वाली महिला स्व सहायता समूह के रसोइया का कहना है कि ,वे बच्चों के उपस्थिति और शिक्षको के कहे अनुसार खाना पकाती है,और यही नही वे शासन द्वारा मध्यान्ह भोजन के सम्बन्ध में प्रति बच्चे को एक थाली में दिए जाने वाले मापदण्ड को पालन ना करते हुए खुद से मापदण्ड निर्धारित कर बच्चो को खाना देती है।
अब है शिक्षा विभाग को शिकायत का इंतजार
वही जिले का प्रशानिक तंत्र इन सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को परखने तमाम तरह की मुहिम चला रहा है,लेकिन ऐसे में आधा पेट खाना खाएं ये स्कूली बच्चे कितने सही तरीके पढ़ सकेंगे और सिख सकेंगे,यही नही इन सब के बावजूद जिले के शिक्षा अधिकारी आईपी गुप्ता मध्यान्ह भोजन के द्वारा बच्चो को भर पेट भोजन दिए जाने का हवाला दे रहे है,और इस सम्बंध में शिकायत मिलने पर दोषियों पर कार्यवाही करने का भरोसा दिला रहे है ।
सरकार की योजना पर पलीता
राज्य सरकार सूबे के कोई बच्चा अशिक्षित ना रह जाये इस मंशा से “स्कूल चलो पढ़े बर,जिनगी ला गढे बर” का अभियान चला रही है,और प्रथमिक स्तर के बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस से लेकर किताबो का वितरण कर रही है,तो वही सरकारी स्कूलों में दोपहर का भोजन भी दे रही है,ताकि बच्चो में पढाई के प्रति लगन बने रहे,बावजूद इसके बच्चो को स्कूलों में भरपेट खाना नही मिल पाना,निश्चित तौर पर ही मध्यान्ह भोजन की मॉनिटरिंग करने वालो की खामियां उजागर करके रख देता है। बहरहाल अब इस मामले में देखने वाली बात यह है कि डीईओ साहब कब जांच कर दोषियों पर कार्यवाही करते है।