Chhattisgarh’s New DGP: रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस में बड़ा प्रशासनिक बदलाव हुआ है। 1992 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अरुण देव गौतम को राज्य के प्रभारी डीजीपी के रूप में नियुक्त किया गया है। वे डीजीपी अशोक जुनेजा की सेवानिवृत्ति के बाद यह जिम्मेदारी संभालेंगे। जब तक पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति नहीं होती, तब तक गौतम प्रदेश के शीर्ष पुलिस अधिकारी के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
अशोक जुनेजा को मिला था एक्सटेंशन
पूर्व डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल जुलाई 2024 में समाप्त होना था, लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें छह महीने का सेवा विस्तार दिया था। अब उनके सेवानिवृत्त होने के बाद आईपीएस अरुण देव गौतम को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद गौतम को स्थायी डीजीपी नियुक्त किया जा सकता है।
कौन हैं अरुण देव गौतम?
किसान परिवार से आईपीएस तक का सफर
अरुण देव गौतम उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के अभयपुर गांव के निवासी हैं। उनका जन्म 2 जुलाई 1967 को हुआ था। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे गौतम पांच भाइयों और एक बहन के बीच पले-बढ़े। शुरुआती शिक्षा उन्होंने गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए अपने बड़े भाई के पास प्रयागराज चले गए।
राजकीय इंटर कॉलेज, इलाहाबाद से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए (आर्ट्स) और एमए (राजनीति शास्त्र) की डिग्री प्राप्त की।
जेएनयू से एमफिल और यूपीएससी की राह
पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने देखा कि उनके कई दोस्त यूपीएससी परीक्षा पास कर चुके हैं। इससे प्रेरित होकर उन्होंने भी सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी। गौतम ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय कानून में एमफिल की डिग्री प्राप्त की और पीएचडी भी शुरू की।
पहले प्रयास में असफलता मिलने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरी बार में यूपीएससी परीक्षा पास कर आईपीएस बने।
पुलिस सेवा में शानदार करियर
1992 बैच के आईपीएस अधिकारी गौतम ने 12 अक्टूबर 1992 को अपनी सेवा शुरू की। उन्हें पहले मध्यप्रदेश कैडर मिला और ट्रेनिंग के बाद जबलपुर में उनकी पहली पोस्टिंग हुई। इसके बाद वे बिलासपुर में सीएसपी बने और फिर एसडीओपी कवर्धा का पदभार संभाला।
सात जिलों के एसपी रहे
गौतम राजगढ़ जिले के पहले एसपी बने और इसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस की 23वीं बटालियन के कमांडेंट के रूप में भी कार्य किया। उनकी नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक दक्षता के कारण उन्हें कई महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया गया।
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