छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने प्रदेशभर में विभिन्न् निगम व मंडल के साथ ही आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की है। इस नियुक्ति को लेकर राजनीतिक बवाल मचा हुआ है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की नियुक्ति का मामला भी कानूनी झमेले में फंस सकता है। दरअसल राजनीतिक रूप से हुई इस नियुक्ति में केंद्र और राज्य शासन के नियमों का पालन जरूरी है। लेकिन राज्य सरकार ने नियमों को दरकिनार करते हुए आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी है।
इस मामले में चुनौती देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक चौबे ने अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि शासन ने कांग्रेस नेत्री व राजनांदगांव के मानपुर क्षेत्र से पूर्व विधायक तेज कुंवर नेताम को इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि नवनियुक्त अध्यक्ष नेताम की शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास है और उनकी आयु भी 66 वर्ष है। जबकि शासन के प्रविधान के अनुसार आयोग के अध्यक्ष की आयु 65 वर्ष से अधिक न हो और शैक्षणिक योग्यता कम से कम बारहवीं पास होनी चाहिए।
इसी तरह उन्हें बाल अधिकार संरक्षण को लेकर काम करने का भी कोई अनुभव नहीं है। याचिका में यह भी बताया गया है कि बालकों के संरक्षण की दिशा में काम करने वाले इस आयोग के अध्यक्ष की शैक्षणिक योग्यता व अनुभव होना चाहिए। क्योंकि बच्चों के अधिकारों के संरक्षण और उनके हितों और जरूरतों से संबंधित कानून को जानना व समझना जरूरी है। शासन का इतने महत्वपूर्ण आयोग की जवाबदारी भी बहुत बड़ी होती है। इसके लिए आवश्यक है कि जो व्यक्ति बच्चों व उनकी समस्याओं के प्रति जागरूक हो उसे ही इस प्रकार की जवाबदारी दी जाए।