जन्मदिन विशेष: किसान से लेकर विधायक तक का सफर, जांजगीर-चांपा विधायक व्यास कश्यप का संघर्ष की कहानी

@संजय यादव

“कई जीत बाकी है कई हार बाकी है
अभी तो जिंदगी का सार बाकी है
यहां से चले हैं नई मंजिल के लिए
यह तो एक पन्ना था अभी तो पुरी किताब बाकी है”

जांजगीर-चांपा। जांजगीर-चांपा के विधायक व्यास कश्यप की जीवन की कहानी संघर्षों से भरी हुई है, किसान से लेकर विधायक तक का सफर बड़ा संघर्ष से होकर गुजरा है। अपने सरल एवं मिलनसार स्वभाव के चलते बड़ी लगन एवं मेहनत से इस मुकाम तक पहुंचे हैं। व्यास कश्यप का एक ही मूल मंत्र है कि “ईमानदारी से मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती”.वे नहरिया बाबा के परम भक्त है जिनकी कृपा उन पर हमेशा बनी रहती है। विधायक बनने के बाद व्यास कश्यप जांजगीर चांपा जिले में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं किसान ,मजदूर हर वर्गों के लिए संकल्पित हैं। जन्मदिन पर जानते हैं व्यास कश्यप के संघर्षों की कहानी…

57 वर्षीय व्यास नारायण कश्यप के पिता का नाम शनीराम कश्यप है। वह पुरानी बस्ती नैला पोस्ट नैला थाना व तहसील जांजगीर-चांपा के रहने वाले हैं। उन्होंने 11वीं मैट्रिक की परीक्षा स्वाध्याय छात्र के रूप में माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल से सन 1985 में उत्तीर्ण की है। उसके बाद बीए पास कर स्नातक तक की शिक्षा गुरु घसीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से उत्तीर्ण की है। उनका विवाह सूरज बाई कश्यप के साथ हुआ है। उनके आय का स्रोत कृषि के अलावा होटल व्यवसाय है। व्यास कश्यप तीन भाइयों में दूसरे नंबर के हैं, वे सभी अभी भी संयुक्त परिवार में साथ रहते उनके दो बेटे एवं 2 बेटियां हैं।

व्यास कश्यप को खेती किसानी में भी बड़ा दिलचस्पी है वे जिले के बड़े किसान नेता के रूप में भी जाने जाते हैं। खेती किसानी की संबंध उन्हें बहुत बारीकी जानकारी है। विधायक बनने के बाद भी रोजाना सुबह खेती के लिए अपने खेत जाना नहीं भूलते। हर एक फसल एवं खेती किसानी के बारे में उनको अच्छा ज्ञान है। खुद अपनी खेतों में जाकर खेती करते हैं। धान कटाई से लेकर बुवाई एवं जुताई भी खुद करते हैं। किसान के घर पैदा हुए व्यास कश्यप ने अपनी जिंदगी के हर उस संघर्ष को बड़ा करीबी से देखा है, सरकारी स्कूल में पढ़े व्यास कश्यप के परिवार में खेती किसानी एवं होटल से शुरुआत हुई। शुरुआती दौर पर बड़े गरीबी परिस्थिति से जूझते हुए आज में इस मुकाम तक पहुंचे हैं।

व्यास कश्यप सामाजिक एवं धार्मिक गतिविधियों में भी हमेशा सबसे आगे रहते हैं। वे अपने कुर्मी समाज के प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं और समाज के प्रति हमेशा सहयोग के भावना रखते हैं। धार्मिक कार्यों में उनका बड़ा ही रुचि है वे नवधा रामायण एवं कीर्तन, भजन पूजन में काफी धार्मिक प्रवृत्ति के हैं वह हमेशा नैला में नवधा रामायण कई वर्षों से कराते आ रहे हैं। व्यास कश्यप युवाओं एवं किसानों के बड़े हितेसी हैं वे किसानों के लिए कई रोड की लड़ाई भी लड़े हैं। किसानों की समस्याओं का निराकरण करने वे हमेशा संघर्षरत रहते हैं।

व्यास कश्यप खेलकूद में भी बड़ा रुचि रखते हैं उन्होंने अपनी स्कूली टाइम में हॉकी एवं क्रिकेट के धुरंधर खिलाड़ी रहे हैं। कई प्रदेश स्तर पर उन्होंने प्रतिनिधित्व किया है। जिले में उन्होंने खेल मैदान एवं मिनी स्टेडियम निर्माण में बड़ा योगदान दिया है. तब जाकर आज जिले के खिलाड़ियों को एक मिनी स्टेडियम का सौगात मिला है।

अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र नेता के रूप में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से की है. 1998 में पहली बार वार्ड चुनाव जीत कर पार्षद बने और नगर पालिका जांजगीर नैला का उपाध्यक्ष का पद संभाला। इसके बाद लगातार बीजेपी पार्टी में जिला उपाध्यक्ष के भी पद पर रहे। कई अवसरों पर उन्होंने पार्टी एवं जिले के लिए बड़ा योगदान दिया।

2018 में बीजेपी से उपेक्षित होकर पार्टी छोड़ दी और बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया। 2019 में जांजगीर चांपा विधानसभा से बीएसपी पार्टी से चुनाव लड़े लेकिन वे उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर कुछ दिन बाद 2019 बहुजन समाज पार्टी से भी त्यागपत्र दे दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्हें मंडी अध्यक्ष का पद प्राप्त हुआ और 2024 में जांजगीर चांपा से विधानसभा टिकट मिला जिसमे प्रदेश के नेत प्रतिपक्ष को हराकर जांजगीर चांपा के विधायक बने।