बिलासपुर. हिंदी फिल्म की दुनिया में 90 के दशक में 1995 में नाजायज फ़िल्म काफी लोकप्रिय हुई थी। जिसमें मुख्य किरदार में नसरुद्दीन शाह निभाते नजर आए थे। इस फ़िल्म का एक गाना काफी हिट हुआ था। जो हर हिंदुस्तानी के जुबान पर गुनगुनाया गया था। इस गाने के बोल थे ‘अभी जिंदा हूँ तो, जी लेने दो भरी बरसात में पी लेने दो’ ऐसा ही कुछ वाक्या छत्तीसगढ़ के न्यायधानी के बिलासपुर जिले में देखने को मिल रहा है। जहां रील लाइफ से हटकर रियल लाइफ की स्टोरी में बस इतना ही फर्क है कि यहां किसान जो वर्तमान सिस्टम की फेलियर से ये बया हो रहा है कि ‘अभी जिंदा हूं तो जी लेने दो, मुझे भी शासन की योजनाओ का लाभ लेने दो’ ये पढ़ने और सुनने में जरा अटपटा सा जरूर लग रहा होगा, लेकिन जिले के तखतपुर अपने कारगुजारी को लेकर सुर्खिया बटोर रहा। वो ऐसे की तखतपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत खम्हरिया के सरपंच ने धृतराष्ट्र जैसे अधिकारियों के कारनामो की पोल खोल रहा है।
हालही में ग्राम पंचायत खम्हरिया के सरपंच नरेन्द्र ध्रुव ने कलेक्टर समेत अन्य को ज्ञापन सौंप कर गाँव के मुर्दा किसानों के जीवित होने का हाल सुनाया और बताया कि गाँव के 400 किसान खेती किसानी का कार्य करते है। जिसमें अधिकतर किसानो को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ मिलता था, लेकिन पिछले एक साल से करीब 68 किसानों को लाभ नही मिल पा रहा है। जब किसान ने लाभ नही मिलने की जानकारी च्वाइस सेंटर (choice center) में ली तब किसानों के पैरों तले जमीन खिसक गई। सिस्टम ने इन किसानों की मौत आने से पहले ही मार डाला है। यही वजह है कि अब इन किसानों की ना तो कोई फरियाद सुनी जा रही और ना ही कोई गुहार।
मर चुके हैं सारे के सारे इसलिए हो रहे हैं लाभ से वंछित
बता दे कि गांव के जिन किसानों को यह सिस्टम मुर्दा बता रही है और यह जब अपनी जीवित होने का प्रमाण लेकर दफ्तर की दहलीज पर पहुंच रहे हैं, तो लोगों के पांव के नीचे से जमीन खिसक जा रही है और यह जीवित लोग मुर्दे की तरह जीते हुए सिस्टम को कोस रहे। लेकिन अब देखना दिलचस्प होगा की इन मुर्दों की सुनवाई होगी या नहीं या लाभ मिलेगा या नहीं।
जरा आप भी सुनिए ये अजीब कहानी, मुर्दे ने बताई अपनी जुबानी
इस संबंध में मृतक किसान अरविंद ध्रुव ने बताया कि छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव है जहां सिस्टम की फेलियर के कारण पहले 68 से अधिक किसानों को मृत घोषित कर दिया गया था। जिसमें अभी भी 37 किसान ऐसे हैं, जो आज भी मृत घोषित हैं। किसान ने अपना दर्द बयां करते बताया कि मैं सालों से शासन की योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहा हूं और लोग मुझे मुर्दा ही मानने लगे हैं। अरुण ध्रुव बताते हैं कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में देश भर के किसानों को सम्मान निधि का लाभ मिल रहा है और सिस्टम की गड़बड़ी के कारण हमें जीवित होने के बावजूद मुर्दा होने का सम्मान दिया जा रहा है। जिससे मैं और मेरा परिवार पूरी तरह से व्यथित हैं। हैरत तो लोग तब पड़ जाते हैं, जब हम अपने जिंदा होने का रिकॉर्ड जिम्मेदारों की दहलीज पर लेकर पहुंचते हैं। जिम्मेदार हमारी शिकायत को सुनते ही हमें देखते रह जाते है और उनके होश उड़ जाते हैं। सिर पर हाथ रख कर हैरानी में डूब जाते हैं। हमें तो न्याय चाहिए और रिकॉर्ड दुरुस्त करा कर जिंदा होने का अधिकार चाहिए।
कहने को देश और प्रदेश में किसान खुशहाल है और इन दोनों ही सरकार के योजनाओं से दो गुना मुनाफा कमा रहे है। लेकिन इन दावों की बुनियाद मालूम पड़ता है कि कागजो में सिमट कर रह गई है और हकीकत में किसान योजना की लाभ पाने से पहले ही मुर्दे साबित हो गए है। बात दे कि केंद्र के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार देश के किसानों के हित में किसानों को समृद्ध और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए देश मे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजन चला रहे है। ये योजना सीधे किसानों को आर्थिक लाभ पहुचा रहा है। जिसमे किसान को 6 हजार रुपये किसान सम्मान निधि योजना के तहत चार चार महीने करके किसान को दो -दो हजार की तीन क़िस्त उनके खातों में भेज रही है। जिससे किसानों को आर्थिक मदद और कृषि कार्य मे सहोलियत हो रहा है।
वहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश में भूपेश बघेल की किसान हितैसी सरकार किसानों को लाभ पहुंचाने किसानों के मेहनत का सही दाम मिल सके। उस नियत से धान को 2500 समर्थन मूल्य में खरीद रही है। जिससे प्रदेश के किसान काफी खुश और समृद्ध हो रहे है और किसान हित में अनेको प्रकार की योजना संचालित हो रही है।