अम्बिकापुर शहर के इतिहास मे आज एक नया मामला सामने आया है, इस मामले मे निलाम हो चुके एक व्यवसायिक भवन को फिर से असल मालिक को लौटाना पडा है , दरअसल मामला एक सप्ताह पहले उस वक्त का है जब शहर के एमजी रोड स्थित एक चार मंजिला व्यवसायिक ईमारत को लोन की कीमत ना अदा करने पर नीलाम कर दिया गया था। लेकिन आज जब बैंक के लोगो ने दोबारा पुराने मालिक को वो भवन फिर से हैंडओवर किया तो मामले का खुलासा हुआ कि आखिर निलामी की प्रकिया को शून्य क्यो किया गया ? और फिर पुराना मालिक ही फिर से मालिक क्यो बन गया ।
दअरसल अम्बेडकर चौक के समीप मनेन्द्रगढ मे स्थित श्रीराम टावर के निर्माण के लिए काम्पलेक्स के मालिक मनोज शुक्ला ने छत्तीसगढ ग्रामीण बैंक की फुंदुडिहारी शाखा से 54 लाख का लोन लिया था, जिनके ऊपर ब्याज समेत 65 लाख की देनदारी थी। जिसके भुगतान नही करने के कारण ग्रामीण बैंक प्रबंधन ने एक सप्ताह पहले काम्पलेक्स की निलामी कर दी थी। और निलामी मे शहर के एक बडे होटल व्यवसायी ने 1 करोड 85 लाख मे भवन को खरीद लिया था। जिसके बाद मनोज शुक्ला ने इसकी अपील जबलपुर स्थित लोन संबधित मामलो के संस्थान डीआरटी(Debts recovery tribunal) मे की और डीआरटी ने बैंक प्रबंधक को आज 30 जून तक काम्पलेक्स के मालिक को मौका देने कहा , जिसके बाद आज संचालक मनोज शुक्ला ने बैंक प्रबंधन के 54 लाख के लोन के एवज मे ब्याज समेत 65 लाख रुपए जमा कर दिए और ग्रामीण बैंक प्रबंधन ने आज ही चार मंजिला व्यवसायिक प्रतिष्ठान के संचालक मनोज शुक्ला को हैंडओवर कर दिया।
निलामी के दिन ही ऋण की राशि अदा करने गया था..
काम्पलेक्स हैंड ओवर होने के बाद आज मनोज गुप्ता के एक करीबी और बडे वाहनो के डीलर ने बताया कि एक सप्ताह पहले जब बैंक इसकी निलामी कर रहा था , तो नियम के मुताबिक उस दिन काम्पलेक्स संचालक मनोज शुक्ला 65 लाख की डीडी लेकर निलामी स्थल पहुंचे थे,, लेकिन बैंक प्रबंधन ने नगद लाने की बात कह कर उनका डीडी लेने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद मनोज ने जबलपुर स्थित डेबिट रिकवरी ट्रिब्यूनल मे अपील की और फिर फैसला उनके पक्ष मे आया और आज बैंक को उनकी संपत्ति उन्हे फिर से वापस करनी पडी। मतलब सरगुजा के इतिहास मे पहली बार इस तरह की निलामी और इस तरह की वापसी हुई है।