पुलिया चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, ढलाई करते ही ढह गया पुलिया का स्लैब, निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर ग्रामीणों ने उठाये सवाल

सीतापुर/अनिल उपाध्याय. पहुँचविहीन क्षेत्र में आवागमन की सुविधा बहाल करने दस लाख की लागत से बनाई गई पुलिया ढलाई करते ही ढह गई।पुलिया निर्माण के दौरान गुणवत्ता में बरती गई लापरवाही के कारण पुलिया का स्लैब ढलाई करते ही भरभरा कर गिर पड़ा।पुलिया का स्लैब ढहते ही निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठ खड़े हो गए।वही इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी इसका ठीकरा एक दूसरे के सिर पर फोड़ते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आए।इस मामले में ग्रामीणों ने घटिया पुलिया निर्माण का आरोप लगाते हुए जांच समेत उचित कार्रवाई की मांग की है।
     

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उक्त मामला ग्राम पंचायत बेलजोरा का है।जहाँ बांध के नीचे जंगल जाने वाले मार्ग पर आपदा प्रबंधन योजना के तहत 10 लाख की लागत से पुलिया निर्माण कराया जा रहा था।ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के निगरानी में होने वाले इस निर्माण कार्य की एजेंसी ग्राम पंचायत है।इसके बावजूद पुलिया का निर्माण गांव के किसी ठेकेदार द्वारा कराया जा रहा था।जिसकी वजह से 10 लाख की लागत से बन रहे पुलिया की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो गई।निर्माण कार्य के दौरान गुणवत्ता को लेकर शासन प्रशासन द्वारा जारी मापदंड का जरा भी पालन नही किया।पुलिया निर्माण के दौरान क्रेशर गिट्टी की जगह हाथ से तोड़े गए उस पत्थरों का उपयोग किया गया।जिसे शासन द्वारा सालो पहले प्रतिबंधित कर दिया गया है।इसके अलावा निर्माण कार्य मे उपयोग किया जाने वाला छड़ और सीमेंट बालू मिश्रण का भी अनुपात में काफी कम था।जिसकी वजह से पुलिया की मजबूती प्रभावित हुई और ढलाई करते ही स्लैब भरभरा कर गिर पड़ा।ठेका प्रथा से कराए गए पुलिया के ढहने की खबर सुन गांव के लोग भी मौके पर पहुँच गए।पुलिया की ये हालत देख गुस्साये लोगो ने पुलिया पर हमला बोला और जमकर तोड़फोड़ किया।उनका कहना था कि इस रास्ते लोग ट्रेक्टर के माध्यम से कृषि कार्य हेतु अपने खेतों तक आते जाते है।जंगल भी जाना होता है तो लोग ट्रैक्टर का उपयोग करते है।पुलिया बनने के बाद अगर इसके ऊपर से ट्रैक्टर गुजरता और ये हादसा हो जाता।तब क्या होता इसका अंदाजा भी नही लगाया जा सकता था।तोड़फोड़ के दौरान काम की गुणवत्ता देख नाराज ग्रामीणों का कहना था कि इससे रद्दी काम उन्होंने आज तक नही देखा था।इसके लिए उन्होंने जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए उन पर अपनी भड़ास निकाली।इस मामले में ग्रामीण रामसुभग,दीपक,चंदर, रामखेलावन,कलिंदर आदि ने पुलिया निर्माण की जांच समेत लापरवाही करने वालो के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।ताकि कमीशनखोरी के चक्कर मे घटिया निर्माण कार्य पर रोक लग सके और ठेकेदारी प्रथा बंद हो सके।

रपटा को तोड़कर बनाया गया था पुलिया:-

आपदा प्रबंधन के तहत 10 लाख की लागत से ग्राम पंचायत के जिस हिस्से में ठेकाप्रथा से पुलिया निर्माण कराया जा रहा था।वहाँ पूर्व में एक रपटा था जिसे दशकों पूर्व वन विभाग द्वारा बनवाया गया था।जिसे तोड़कर वहाँ पर पुलिया का निर्माण कराया गया था।इस मामले में ग्रामीणों ने बताया कि वहाँ पुलिया की जरूरत ही नही थी।उस रास्ते मे आने जाने के लिए रपटा ही पर्याप्त था।पर ठेकेदार को सरकार का पैसा हजम करना था इसलिए वो वहां मौजूद रपटा को तोड़कर पुलिया बनवा रहा था।

सरपंच समेत अधिकारियों तक को इस निर्माण कार्य की नही थी जानकारी:-

आपदा प्रबंधन के तहत बनने वाले इस पुलिया निर्माण की जानकारी न सरपंच को थी और न ही अधिकारियों को थी।इस निर्माण कार्य का ले-आउट भी दूसरे सब-इंजीनियर द्वारा दिया गया था।जिसके बाद गुपचुप तरीके से ठेकेदार ने पुलिया के निर्माण शुरू करा दिया।ठेकेदार ने इसकी भनक कानों कान किसी को लगने नही दी।जब पुलिया का स्लैब ढहा और ये बात अधिकारियों तक पहुँची।तब जाकर ग्राम पंचायत के सरपंच प्रभारी सब इंजीनियर,आरईएस एसडीओ एवं सीईओ जनपद पंचायत को चोरी छिपे कराए जा रहे इस निर्माण कार्य का पता चला।

इस संबंध में एसडीओ आरईएस अमित मिश्रा ने बताया कि इस काम की जानकारी उन्हें नही थी।इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर दूसरे सब इंजीनियर द्वारा ले-आउट दे दिया गया।जिसके बाद ग्राम पंचायत की आड़ में ठेकेदार ने बिना बताए काम शुरू करा दिया।जिसकी वजह से उन्हें इस निर्माण कार्य के बारे में जानकारी नहीं थी। जबकि सीईओ जनपद पंचायत एस के मरकाम ने बताया कि पुलिया के स्लैब ढहने की जानकारी प्राप्त हुई है।यह पूरा मामला जांच के अधीन है।जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी।