अम्बिकापुर। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 16 तारिख से आज 36 घंटे मे 7 नवजात बच्चों की मौत हो गयी है। पांच बच्चों की मौत एसएनसीयू वार्ड मे हुई है। इनमें से चार तबियत खराब होने के बाद बाहर के सेंटर से लाए गए थे। इसके अलावा दो बच्चो की मौत बच्चा वार्ड मे हुई है। जिसमे एक डेढ महीने और दूसरा 8 महीने का है। दो दिन के भीतर 7 बच्चों की मौत होने से हड़कंप मच गया है। इधर जिन तीन बच्चों की मौत हुई, उसमे एक बच्चे के पिता महेश कुमार जायसवाल ने रोते बिलखते हुए मीडिया से अपना दर्द बयां किया और वार्ड मे मौजूद कर्मचारी पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया।
परिजनों का आरोप
अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल मे बीतॆ रात तीन बच्चों की संदेहास्पद मौत हो गई है। जिन तीन बच्चों की मौत हुई है। वो अस्पताल के एसएनसीयू मे चल रहा था। जिस वक्त इन बच्चों की मौत हुई उस वक्त वार्ड मे 50 बच्चे भर्ती थे। जिन तीन बच्चों की मौत हुई उसमे एक बच्चे के पिता महेश कुमार जायसवाल ने रोत बिलखते हुए मीडिया से अपना दर्द बयां किया और वार्ड मे मौजूद कर्मचारी पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। साथ ही श्री जायसवाल ने बताया कि उसके बच्चे के इलाज के दौरान उस पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास स्थित एक निजी अस्पताल मे भर्ती करने का दबाव बनाया जा रहा था।
“16 तारीख को 5 बच्चों की मौत हुई है। 5 नवजात शिशु का 16 तारीख को मौत हुआ, जिसमे से दो एक किलो से भी कम वाले थे। एक 700 ग्राम का था, एक 920 ग्राम का था। बाकी के तीन बच्चे, वो 2 किलो से कम थे, एक 1.2 किलो, 1.6 किलो और एक 1.5 किलो का। इनका जन्म के पूरा महीना होने के पहले हो गया। प्री मेच्योर डिलीवरी हो गयी। इस दौरान फेफड़े बने नहीं रहते हैं, और भी जो ऑर्गन्स है, वो भी डेवलॉप नहीं हुए रहते है। इस वजह से कॉम्प्लिकेशन रहते है, और इसी स्थिति में उनकी मृत्यु हुई है। सबसे जरूरी बात ये है की जो बच्चे बाहर से आये थे। इन 5 डेथ में से 4 बाहर से रेफर किये हुए थे। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो एक से दो दिन का स्टे था इनका, तो ये दर्शाता है कि जो ऑलरेडी सिक थे वही बच्चे की मृत्यु हुई है। मतलब ऐसा कुछ कारण नहीं है कि यहां पर कुछ कमी की वजह से, या डॉक्टरों ने दवाई देने में लापरवाही, या केअर में लापरवाही, इस वजह से मृत्यु ना होकर के, इनलोगों का लेट रेफरल की वजह से हुआ है।”
• डॉ सुमन तिर्की, एचओडी एंव प्रोफेसर, मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर