Chhattisgarh: हसदेव अरण्य को नो-गो क्षेत्र बनाने का वादा घोषणा पत्र में शामिल किया जाएगा, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ने राहुल गांधी से की मुलाकात

क्रांति रावत
उदयपुर से फटाफट न्यूज के लिए

अम्बिकापुर. Rahul Gandhi in Surguja: 13 फरवरी को सरगुजा जिले के ग्राम जजगा में हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के प्रतिनिधी मण्डल.. जिसमे रामलाल करियाम, मुनेश्वर पोर्ते, सुनीता पोर्ते, नरेंद्र आर्मोर, सुरेंद्र करियाम, राजा छितिज उईके, आनंद राम खुसरो, आलोक शुक्ला सहित अन्य साथी शामिल रहे।

प्रतिनिधि मंडल ने सर्वप्रथम लेमरू हाथी रिजर्व जिससे हसदेव के 16 कोल ब्लॉक संरक्षित हुए है, को अधिसूचित करने के लिए राहुल गांधी के प्रयास के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। इसके बाद सरगुजा जिले में खनन परियोजनाओं को दी गई गैर कानूनी वन और पर्यावरण अनुमति, एवं जंगल के विनाश के मुद्दो को रखा गया।

रामलाल करियाम ने ग्रामसभा का प्रस्ताव दिखाते हुए कहा कि फर्जी प्रस्ताव बनाकर परसा कोल ब्लॉक के लिए वन स्वीकृति हासिल की गई है। राज्यपाल के आदेश के बाद भी बिना जांच किए पेड़ो की कटाई की जा रही है। सुनीता पोर्ते ने कहा कि जंगल, जमीन से हमारी आजीविका और संस्कृति जुड़ी हुई है यदि यह उजड़ गया तो हमारा अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।

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आलोक शुक्ला ने हसदेव की जैव विविधता पर बात रखते हुए कहा कि स्वयं भारतीय वन्य जीव संस्थान ने हसदेव पर किए गए अध्ययन में कहा है कि यदि हसदेव में खनन की अनुमति दी गई तो बांगो बांध जिससे 4 लाख हेक्टेयर की सिंचाई होती है। उसका अस्तित्व खत्म हो जायेगा और मानव हाथी संघर्ष इतना व्यापक होगा कि फिर कभी उसे सम्हाला नही जा सकता। सिर्फ निजी मुनाफे के लिए हसदेव का विनाश हो रहा है जबकि देश में 3.5 लाख टन कोयला हसदेव के बाहर है।

आलोक ने कहा कि कांग्रेस और यूपीए सरकार के कार्यकाल में पेसा कानून, वनाधिकार कानून और भूमि अधिग्रहण कानून बनाए गए है। जिनमे ग्रामसभा से अनिवार्य परामर्श और सहमति के प्रावधान शामिल हैं। जहां भी अदानी कंपनी की परियोजनाएं स्थापित हो रही हैं। वहां इन कानूनों को बाईपास करके या उल्लंघन करके अनुमतियां हासिल की जा रही हैं। हसदेव में लग रहा है जैसे अडानी के लिए संविधान को ही निलंबित कर दिया गया है।

मुनेश्वर पोर्ते ने कहा कि पिछले 10 वर्षो से हमारा संघर्ष जारी है। जब यह आंदोलन शुरू हुआ था तो हम लोग बच्चे थे। आज गांव को बचाने लड़ना पढ़ रहा है जबकि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का दायित्व तो स्वयं राज्यपाल और सरकारों का है।

12 फरवरी को कोरबा जिले के ग्राम मोरगा में हसदेव के ग्रामीणों ने जंगल बचाने के लिए मानव श्रृंखला बनाई थी। इस दरम्यान हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक उमेश्वर सिंह आर्मों से राहुल गांधी ने विस्तृत चर्चा की थी।

आज राहुल गांधी के समक्ष प्रतिनिधि मंडल ने मांग रखी कि हसदेव को बचाने के संघर्ष में कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से साथ दें एवं हसदेव को खनन से मुक्त रखते हुए पुनः नो गो क्षेत्र बनाने का वादा अपने घोषणा पत्र में शामिल करें।

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