अम्बिकापुर : आत्मप्रेरणा से उत्कृष्टता की ओर ग्राम जयपुर के निवासी

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अम्बिकापुर

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के विकासखण्ड मुख्यालय लखनपुर से महज 6 से 7 किलोमीटर की दूरी पर बसा है जयपुर ‘‘ख’’ ग्राम।  जयपुर ‘‘ख’’ इसलिए कि इसी विकासखण्ड के बेलखरिखा के पास ही एक और ग्राम का नाम जयपुर है। बुजुर्ग इस गांव को आज भी ‘‘झापर’’ के नाम से जानते हैं। भारत सरकार के ‘‘स्वच्छ भारत मिशन’’ को यहां के लोगों ने हृदय से स्वीकार किया है। बच्चे, बूढ़े, जवान सभी लोगों में अपने गांव को स्वच्छ रखने का उत्साह देखते ही बनता है। गांव के अधिकांश परिवार पूरे मनोयोग से शौचालय बनाने में लग गए हैं। धान की कटाई और मिसाई का समय होने के बावजूद ग्रामीण शौचालय निर्माण को नवम्बर माह में पूर्ण करने के लिए पूरे दमखम के साथ काम कर रहे हैं। इसी विकासखण्ड के दूसरे ग्रामों में लोगों को शौचालय निर्माण और उसके महत्व को समझाने पर भी वो उत्साह नहीं दिखता, जितना यहां के लोगों में आत्मप्रेरणा के कारण झलकता है।
मुफ्त नहीं मदद की दरकार
गांव की सरपंच कमला बाई, उप सरपंच सलमनिया, तिलासो बाई, रैमुनिया, नीरा, अहिल्या सहित अन्य महिलाओं तथा अलकस, तप सिंह, प्रीतम, बलजीत, बहालु, परशुराम, रामबृक्ष, दिलबोध, लक्ष्मी, ललन, अमृत, पण्डरा, लालजीत और बालसाय ने बताया कि हम किसान हैं और कड़ी मेहनत कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। किसानों के पास खाने-पीने के लिए तो पर्याप्त अन्न होता है, किन्तु नगदी कुछ कम ही होती है। इन लोगों  ने बताया कि शासन द्वारा मुफ्त में शौचालय निर्माण की बात बताई गई तो गांव वालों आपसी सलाह से यह तय किया कि हम शासन से मदद तो लेंगे पर मुफ्त में बने और हमारा उसमें कोई योगदान न हो-ऐसा करना ठीक नहीं। इसलिए सभी लोगों ने शौचालय निर्माण का जिम्मा खुद ही ले लिया है।
निर्माण की तकनीकी जानकारी
इस गांव के ग्रामीण शौचालयों को अपने हिसाब से छोटा, बड़ा या अलग आकारों में बना रहे हैं। शौचालय निर्माण की तकनीकी जानकारी इन्हें विकासखण्ड मुख्यालय में आयोजित प्रशिक्षण में दी गई है। जिन लोगांे ने प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है-किन्तु राजमिस्त्री का काम जानते हैं, वे पड़ोस का देखकर बना रहे हैं।
हरा-भरा ग्राम
जयपुर में एक नाला है-दूमुहा। इस नाले में वर्ष भर पानी रहता है। पर्याप्त पानी की उपलब्धता से ग्रामीण साग-भाजी की खेती करते हैं। गांव का वातावरण हरा-भरा रहता है। यह नाला गांव के बीच से घूम-घूमकर तीन बार गुजरा है। कलेक्टर श्रीमती ऋतु सैन ने अपने ग्राम भ्रमण के दौरान अधिकारियों को इस नाले में एक निश्चित सीरिज में बोल्डर चेक डैम बनाने के निर्देश दिए हैं, ताकि स्थानीय ग्रामीणों को खेती के लिए पर्याप्त पानी प्राप्त हो सके तथा भूजल के स्तर में भी वृद्धि हो।
सार्थक प्रतिनिधित्व
पहले यह ग्राम उमरौली पंचायत अंतर्गत आता था। इस बार जयपुर उमरौली से अलग होकर नया पंचायत बनाया गया है। सरपंच श्रीमती कमला बाई ने बताया कि पिछले चार पंचवर्षीय से उसका परिवार पंचायत का प्रतिनिधित्व करता आया है। उसने अपने ग्राम विकास के लिए हर संभव प्रयास किए हैं और आज भी यह जारी है।
ग्राम की सामान्य जानकारी
इस ग्राम की जनसंख्या 1177 है तथा परिवारों की संख्या 292 है। ग्राम में कुल 666 मतदाता हैं। इनमें 336 पुरूष और 330 महिला मतदाता हैं। ग्राम में कंवर, गोंड़ जनजाति के लोगों की संख्या अधिक है। एक पारे में केवट जाति के लोग भी रहते हैं, इसीलिए इस पारे का नाम केवट पारा रखा गया है। ग्राम पंचायत के 10 वार्डों में खालपारा, समरखार पारा, माझापारा, इमलीपारा, केवटपारा, तिखरापारा और पटेलपारा नाम के मोहल्ले हैं।
विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष एवं कलेक्टर ने की प्रशंसा
गत दिवस विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष श्री टी.एस.सिंहदेव एवं सरगुजा कलेक्टर श्रीमती ऋतु सैन ने ग्राम का भ्रमण कर स्वयं से शौचालय निर्माण कर रहे ग्रामीणों के कार्य की प्रशंसा की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि दूसरे ग्राम के लोगों को इस ग्राम का भ्रमण कराकर प्रोत्साहित करें।
समाचार क्रमांक 2033/2015