अम्बिकापुर. कोरोना संक्रमण के लॉकडाउन में अगर सबसे कठिन, खतरनाक, गंभीर और जिम्मेदार ड्यूटी कर रहे हैं.. तो उनमे स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी और प्रशासन के वो अधिकारी शामिल हैं.. जो संक्रमण के बीच रहकर लोगों को उससे बचाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं.. ऐसी ही जिम्मेदार मेहनत अम्बिकापुर के कालीघाट बैरियर मे तैनात पुलिसकर्मी और अधिकारी कर रहे हैं.. जिनके चेक पोस्ट से श्रमिकों को ले जाने वाले दर्जनों वाहन गुजर रहे हैं.. लेकिन कोरोना संक्रमण के भय के बीच भी उनकी मुस्तैदी पहले दिन सॆ अब तक जस की तस बनी हुई है.. जबकि उनकी तैनातगी को करीब 60 दिन होने को हैं..
कोरोना संक्रमण मे सब जिसके पास जो जिम्मेदारी मिली है.. उसको वो पूरे जिम्मेदार तरीके से निभा रहा है.. लेकिन इन सबके बीच स्वास्थ महकमा और पुलिस महकमे ने अपने परिवार दायित्वो को भूलकर .. समाजिक दायित्वो का जो निर्वहन किया है.. वो काबिले तारीफ हैं.. देश के प्रधानमंत्री हो या फिर राज्य के मुख्यमंत्री हर जगह से इनको सिर्फ सराहना ही मिल रही है.. ऐसे ही सामाजिक दायित्व की तस्वीर अम्बिकापुर की पुलिस विभाग मे देखी जा रही है.. शहर के भीतर आने वाले हर रास्ते मे मोर्चा लगाकर बैठे पुलिस के जवान अपने शहर मे आने वाले कोरोना संक्रमण के खतरे के लिए ढाल बन कर बैठे हैं.. चाहे वो झारखंड, उत्तरप्रदेश से शहर के भीतर आने वाले रास्त हो या फिर मध्यमप्रदेश या अन्य प्रदेशो से आने वाला रास्त हो.. हर रास्ते मे कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच हर आने जाने वाले का पता ठिकाना पूंछना और उनको भोजन करा कर उनकी मंजिल तक पहुंचाना.. इन दिनो पुलिस वालो के प्रथम कर्म बन गया है..
• एमजी रोड के रास्ते आते है सबसे अधिक मजदूर और वाहन…
लॉक डाउन 3 के अंतिम दिनो से लॉक डाउन 4 मे अब तक अम्बिकापुर मनेन्द्रगढ रोड की तरफ से प्रतिदिन 50 वाहनो मे 500 से अधिक मजदूर प्रतिदिन अम्बिकापुर से गुजरते हैं.. अम्बिकापुर से गुजरने वाले मजदूर देश के कई कोरोना हाट स्पाट से आकर झारखंड, बिहार, उडीसा और पश्चिम बंगाल की ओर जाते है.. ऐसे मे काली घाट मे तैनार गांधीनगर और कोतवाली पुलिस के जवान चिलचिलाती धूप से लेकर देर रात जंगली जानवरो के भय के बीच भी वहां ड्यूटी पर तैनात रहते हैं.. और हर आने जाने वाले वाहन को रोककर उनका आने के स्थान से लेकर जाने के स्थान तक का रजिस्टर मेनटेन करते हैं.. और उनके निकलने के बाद मजदूरो को जिस रास्ते से शहर पार करना है. वहां के चेक पोस्ट को इस बात की जानकारी देते हैं. कि यहां से अन्य राज्यो के मजदूर निकले हैं. उनको सही सलामत आगे के लिए रवाना करना है.. गौरतलब है कि अम्बिकापुर मे बनाए गए सभी चेक पोस्ट पर कमसे कम दो एएसआई , तीन हेड कांस्ट्रेबल और कमसे कम पांच आरक्षको के साथ वन रक्षको और राजस्व विभाग के कर्मचारी की ड्यूटी लगाई है.. जो शायद प्रदेश के अन्य जिलो मे देखने को नही मिल रही है.
• सरकारी अधिकारियो औऱ अन्य की भी आवाजाही..
मनेन्द्रगढ रोड पर सूरजपुर जिला है. जहां के 50 फीसदी कर्मचारी अम्बिकापुर से आना जाना करते हैं.. इसके अलावा स्वास्थ, बिजली विभाग औऱ आवश्यक वस्तुओ से जुडे लोगो के साथ पत्रकार और पुलिस की आवाजाही भी इस रास्ते काफी होती है.. लिहाजा इन सबको मिलाकर इस रास्ते से रोजाना करीब एक हजार बडे छोटे और दो पहियावाहन वाहन इस रास्ते से गुजरते हैं.. ऐसे मे काली घाट समेत जिले के चेक पोस्ट मे तैनात पुलिसकर्मियो को कभी कभी पूंछताछ के दौरान लोगो के गुस्से का भी सामना करना पडता है.
• अधिकारियो से मिल रही है प्रशंसा
शहर के लगे शंरकघाट, सरगंवा, लुचकी घाट, और बिलासपुर चौक पर तैनात इन पुलिस, वन विभाग और राजस्व के अधिकारियो की निगरानी करने पुलिस कप्तान आशुतोष सिंह, एसएसपी ओम चंदेल, एसडीएम अजय त्रिपाठी जैसे तमाम अधिकारी औचक निरीक्षण करते रहते हैं.. और उनके कार्य की हमेशा प्रशंसा करते हैं.. और शायद यही वजह है कि कोरोना फाईटर के रूप मे तैनात कई पुलिसकर्मी को खुद सरगुजा रेंज आईजी नगद राशि से सम्मानित कर उनका सम्मान बढा चुके हैं.. शायद इसीलिए चेक पोस्ट पर खडी दोपहर से रात के अंधेरे तक पुलिस के साथ वन विभाग के कर्मचारी कोरोना के डर से भयभीत होने के बजाय निडर होकर अपने सामाजिक दायित्वो का निर्वहन कर रहे हैं..