मैनपाट मे कैम्पा मद से लगाए उन्नत वृक्षारोपण की वन विभाग कर रहा था देखरेख
अम्बिकापुर
सरगुजा के मैनपाट को और ज्यादा खूबसूरत बनाने और सघन वृक्षारोपण के उद्देश्य से कुछ वर्ष पूर्व ललया गांव की राजस्व भूमि मे उन्नत किस्म के मिश्रित पौध रोपण किया गया था। वर्ष 2014 मे वन मंत्री महेश गागडा द्वारा किए गए हवाई सर्वे के बाद मंत्री ने मैनपाट की चार अलग अलग जगहो पर करोडो की लागत से वृक्षारोपण कराने की स्वीकृति दी । जिसके बाद 2015 मे ललया गांव के तीन स्थानो समेत मैनपाट के कुल चार चिन्हाकित स्थानो पर सघन वृक्षारोपण के उद्देश्य से फलदार और उन्नत किस्म के पौधो का वृक्षारोपण किया गया। लेकिन दो दिन पूर्व इनमे से एक स्थान का पूरा वृक्षारोपण जल कर राख हो गया। आग किसी ने लगाई या फिर कथित उन्नत किस्म के पौधे की पोल खुलती देख विभाग ने ही इसे जला दिया , ये तो जांच का विषय है। लेकिन जानकर हैरानी होगी कि जिस एक स्थान के 25 एकड मे पौधारोपण किया गया था उसमे तीन वित्तीय वर्ष मे 4 करोड तीस लाख रुपए खर्च किए गए है। ऐसे मे इस आग ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर बडा सवाल खडा कर दिया है।
कैसे और कब बनी योजना
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2009 मे मुख्यमंत्री डाँ रमन सिंह की अध्यक्षता मे सरगुजा एंव उत्तरी क्षेत्र विकास प्राधिकरण की बैठक सरगुजा के शिमला कहे जाने वाले मैनपाट मे आय़ोजित की गई थी। उस वक्त बैठक मे मुख्यमंत्री ने मैनपाट मे सघन वृक्षारोपण किए जाने की योजना को सैद्दांतिक स्वीकृति दी थी। और फिर 2014 मे वन मंत्री महेश गागडा द्वारा हवाई सर्वे कर मैनपाट के चार स्थानो मे तकरीबन 18 करोड की लागत से उन्नत किस्म के पौधे के वृक्षोरोपण को कैंपा मद से प्रशासकीय स्वीकृति दे दी थी। योजना के मुताबिक इस वृक्षारोपण के लिए जो स्थान चिन्हाकिंत किए गए थे उनको पूरी तरह सुरक्षित रखने के लिए तार की बाडी से घेर कर उनमे चौकीदारो के साथ वन विभाग के अधिकारियो को भी तैनात किया गया था। इसके अलावा पौधारोपण मे सिंचाई के लिए सौर उर्जा से चलने वाले पंप के साथ बोर किए गए थे । सूत्रो से मिली जानकारी के मुताबिक ललया गांव के राजस्व भूमि क्रमांक 11/1 के जिस स्थान पर आग से पौधे जल कर नष्ट हो गए है। केवल उस स्थान पर ही तीन वर्षो मे 4 करोड तीस लाख रुपए खर्च किए जाने थे । और तो और इस स्थान समेत अन्य चार स्थान जहां पौधा रोपण किया गया है वहां पर प्रत्येक पौधो की खरीदी 400-400 रुपए मे रांची , रायपुर औऱ देश के अन्य स्थानो से की गई थी।
24 घंटे सिंचाई का प्रवाधान पर टैंकर से सिंचाई
प्राप्त जानकारी के मुताबिक सघन और उन्नत किस्म के पौधारोपण की योजना मे पौधो की 24 घंटे सिंचाई का प्रवाधान था। इसी वजह से एक एक स्थान पर तीन से चार बोरिंग लगा कर वहां पर सौर उर्जा से चलित पंप की भी व्यवस्था की गई थी। लेकिन जानकर हैरानी होगी कि इन व्यवस्थाओ के बावजूद जिस ललया गांव के राजस्व खसरा नंबर 11/1 मे आग से सभी पौधे जल कर खाक हो गए है वहां पर वन विभाग द्वारा वहां पर किराए के टैंकर लगा कर सिंचाई की जा रही थी। जिससे साफ स्पष्ट होता है कि डीजल औऱ किराए के रुपए मे वन विभाग किस तरह धांधली करके शासन के पैसे का दुरुपयोग कर रहा था। जबकि ये बात भी सामने आ रही है कि जब मैनपाट के चार स्थानो का पौधारोपण के लिए चयन किया गया, तब सभी स्थान सिंचित क्षेत्र और भूगर्भ मे भरपूर जल स्त्रोत वाले स्थान थे।
कैसे लगी आग ये है रहस्य
मैनपाट के स्थानिय लोग यहां के चार स्थानो मे किए गए उन्न्त और मिश्रित किस्म के पौधारोपण पर पहले ही सवाल उठा रहे थे , लोगो का पहले और अब भी यही कहना है कि वन विभाग ने 400-400 रुपए मे जौ पौधे लगाए थे वो उस स्तर के नही थे कि उनको इतने मंहगे मे खरीदा जाए । अब आग लगने के बाद भी वहां के स्थानिय जनप्रतिनिधि और ग्रामीण नाम नाम छुपाए जाने की सूरत मे बता रहे है कि वन विभाग अपनी करतूत को छिपाने के लिए खुद आग लगा दिए है , हांलाकि किसी पर आरोप लगाना जल्दबाजी होगी क्योकि ये जांच का विषय है।
बचा लिए जाएगे पौधे
वन विभाग के रखरखाव करने वाले वन विभाग के रेंजर श्री सोनी का कहना है कि आग किसी के द्वारा लगाई गई है। फिलहाल आग को बुझा लिया गया है जिससे पौधे सुलझ गए है और घास जली है। इसके अलावा श्री सोनी ने कहा कि नुकसान ज्यादा नही हुआ है । देहरादून के रिसर्च सेंटर वालो से बात हुई है वो सुलझे पौधो को फिर से जिंदा कर लेगे। इस मामले में हमने सरगुजा डीएफओ मोहम्मद शाहिद ने कहा की आग लगने की मुझे कोई जानकारी नहीं है मै पता करके बताउंगा।