- 3 एकड़ में बन रहा पुरातात्विक हब
- धरोहरों को सहेजने युद्ध स्त्र पर तैयारियां
- छत्तीगढ़ में अपनी तरह का पहला होगा संग्राहलय
अम्बिकापुर(दीपक सराठे)
सरगुजा के पुरातात्विक धरोहरों को सहेजने और उनके संवर्धन के लिए प्रशासन ने बड़े पैमाने पर काम शरू कर दिया है। रामगढ़, मैनपाट, महेशपुर, महारानीपुर और ऐसे ही पुरातात्विक महत्व के अन्य स्थानों के संरक्षण की कवायद प्रारंभ करने के साथ ही साथ उन्हे चिंन्हाकित कर उनके रख रखाव के बेहतर प्रयास किये जा रहे है। अभी तक नगर के सरगवां स्थित जिला पुरातात्विक संग्रहालय में 7वीं व 8वीं शताब्दी की कई अनमोल मुर्तियां धूल खा रही थी। यही नहीं पुरातात्विक स्थानों पर कभी कई पुरानी धरोहरे यत्र-तत्र बिखरी पड़ी है। कुछ दिनों पूर्व ही रायपुर से आई पुरातात्विक विभाग की एक टीम ने सरगुजा के कई पुरातात्विक महत्व के स्थलों का दौरा कर जिला पुरात्व अधिकारियों को इस संबंध में दिशा निर्देश भी जारी किये है। इसके बाद कलेक्टर सरगुजा श्रीमती ऋतु सैन ने पहल करते हुये सरगुजा की धरोहरों को एक ही स्थान पर सहेजने की न सिर्फ कवायद शरू की बल्कि सरगवां स्थित जिला पुरातात्विक संग्राहलय को तीन एकड़ में विकसित किये जाने का काम भी प्रारंभ करा दिया है। युद्ध स्तर पर चल रहा यह काम व यह कहे सरगुजा कलेक्टर द्वारा किया जा रहा प्रयास अगर मैदानी स्तर पर फलिभूत हो सका तो निःसंदेह आने वाले समय में सरगुजा केवल राष्ट्रीय ही नही बल्कि अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भी पुरातत्वों के संरक्षण और पर्यटन के क्षेत्र में अपना नाम रौशन करेगा और पुरातात्विक हब के रूपमें विकसित हो सकेगा। कलेक्टर सरगुजा ने इस प्रयास के तहत डिप्टी कलेक्टर स्तर पर एक अधिकारी को पुरातत्व, पर्यटन और संस्कृति विभाग का नोडल अधिकारी बनाया है। ताकि कार्य की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जा सके।
गौरतलब है कि सरगुजा के पुरातात्विक स्थलों को संरक्षित करने के प्रयास तो लम्बे समय से किये जा रहे है, लेकिन शासन के मंशानुरूप् उस पर अब तक कोई विशेष सफलता नहीं मिल सकी थी। पुरातात्विक स्थलों में बिखरी कुछ मूर्तियों को जिला पुरातात्विक संग्रहालय में रखा तो गया परन्तु उस पर ध्यान नहीं देने से मूर्तियां धूल खा रही है। अब शासन व कलेक्टर सरगुजा के प्रयास से सरगुजा की इन धरोहरों को एक सुव्यवस्थित व आधुनिक संग्राहलय में पहचान मिल सकेगी। सरगवां स्थित जिला पुरातात्विक संग्रहालय को नया रूप देने का काम शुरू हो गया है। 3 एकड़ में फैले संग्रहालय के परिसर में कुछ माह बाद ही लोगों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति की झलक देखने को मिलने लगेगी। परिसर में मणिपुर राज्य के राष्ट्रीय कलाकारों द्वारा जहां भोरमदेव, गंडई के शिव मंदिर के प्रतिविम्ब तैयार किया जा रहा है। वहीं पाली का प्राचीन शिवमंदिर, शिरपुर का लक्ष्मण मंदिर कुरूद के चिरायु सिन्हा की टीम तैयार कर रही है। ग्राम आरा व ग्राम सुखरी सोनपुर के कलाकारों द्वारा मिट्टी कला, बांसकला से कई कलाकृतियों का निर्माण कराया जा रहा है। संग्रहालय में प्राचीन मूर्तियों सहित बस्तर के रहन-सहन, कोरवा-पंडो जनजाति के लोगों का परिदृष्य, उनके आभूषणों व पुराने वाद्य यंत्रों का अनूठा संग्रह होगा। यही नहीं पुराने रीति रिवाजों में शामिल होने वाले बर्तनों को भी बनाकर रखा जायेगा। संग्रहालय के परिसर में ओपन थियेटर होगा। सभी पुरातात्विक धरोहरों को सुरक्षित किये जाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।
दरवाजे पर डिपाडीह की झलक
जिला पुरात्व संग्रहालय के दरवाजे पर ही डीपाहीड की झलक लोगों को दिखाई देगी। इसके साथ ही सरगुजा की संस्कृति से ओत-प्रोत करने वाली झांकिया मुख्य द्वार पर बनेगी। जिस पर जोर-शोर से यह काम चल रहा है। उससे यह कहा जा सकता है कि इसी वर्ष सरगुजा को एक बड़े संग्रालय की सौगात मिल सकेगी।
पर्यटन को देना है बढ़ावा
पुरातत्व, पर्यटन और संस्कृति विभाग के नोडल अधिकारी डिप्टी कलेक्टर सुमित अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ व सरगुजा की संस्कृति व पुरातत्व को एक स्थान पर केन्द्रित कर न सिर्फ उन्हे आने वाले पीढी के लिए सहेजना है बल्कि पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कलेक्टर सरगुजा के मंशानुरूप् यह काम किया जा रहा है। इस पुरातत्व संग्रहालय से सरगुजा को निश्चित ही एक अलग पहचान मिलेगी।